Posts

Showing posts from April, 2025

Class 10th History chapter 3 हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

Image
 दक्षिण पूर्व एशिया में लगभग 3 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले प्रायद्वीपीय क्षेत्र को हिंदचीन कहते है। जिसमें वियतनाम, लाओस और कंबोडिया के क्षेत्र आते है।  प्राचीन काल से ही वियतनाम के तोंकिन एवं अन्नाम में हिंदचीन का प्रभाव था।  लाओस और कंबोडिया पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव था।  चौथी शताब्दी में कंबुज का स्थापना हुआ था।  12वी शताब्दी में राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने अंकोरवाट के मंदिर का निर्माण करवाया था।  इस क्षेत्र में कुछ देश पर चीन तथा कुछ देश पर हिन्दुस्तान की संस्कृति के प्रभाव के कारण ही इसे हिंद चीन के नाम से जाना जाता है।  व्यापारिक कंपनियों का आगमन और फ्रांसीसी प्रभुत्व 1498 में भारत की खोज के पश्चात 1510 तक मलक्का को व्यापारिक केंद्र बनाकर हिंद चीन देशों के साथ व्यापार शुरू किया गया।  17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिंदचीन पहुंच गए।  1747 ई के बाद से ही फ्रांस अन्नाम में रुचि लेने लगा।  1787 ई में कोचीन चीन के शासक के साथ संधी का मौका मिला। इस तरह 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक संपूर्ण हिंद चीन फ्रांस की अधीनता में आ...

Class 10th History chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

Image
समाजवाद एक ऐसी विचारधारा हैं जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया आवाम दिया।  समाजवाद में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।  समाजवाद की उत्पत्ति  समाजवाद का विकास औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप 18वी शताब्दी में हुआ था।  उद्योगों पर पूंजीपतियों का स्वार्थ बढ़ रहा था और श्रमिकों का कोई अधिकार नहीं था, जिसके कारण  पूंजीपति और अमीर तथा श्रमिक और गरीब होते जा रहे थे।  इस कारण आर्थिक दृष्टि से समाज का विभाजन दो भज में हो गया  1. पूंजीपति वर्ग  2.श्रमिक वर्ग कुछ व्यक्तियों ने सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में एक नवीन विचारधार का प्रतिपादन किया जिसे समाजवाद के नाम से जाना जाता है।    यूटोपियन समाजवाद  यूटोपियन समाजवाद को स्वप्नदर्शी समाजवाद कहा जाता है।  फ्रांसीसी विचारक सेंट साइमन का मानना था कि समाज को निर्धन वर्ग को नैतिक और भौतिक  उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए।  लुई ब्ला - आर्थिक सुधार को प्रभावशाली बनाए के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है।  रॉबर्ट ओवन -   संतुष्ट श्रमिक ही वास्तविक श...

Class 10th History chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद

Image
नेपोलियन के पतन के बाद यूरोप की विजय शक्तियां ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में 1815 में एकत्र हुई। जिसका उद्देश्य पुनः उसी व्यवस्था को लाना था जिसे नेपोलियन ने अस्त व्यस्त कर दिया था।  1815 ई• में बिना सम्मेलन की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया के चांसलर मेटरनिख ने किया था , जिसका उद्देश्य से यूरोप में शांति संतुलन स्थापित करना था।   वियना सम्मेलन के माध्यम से यूरोप में नेपोलियन युग का अंत और मेटरनिख युग की शुरुआत हुई।  मेटरनिख ने इटली राज्य को विभाजित कर दिया,और सिसली और नेपल्स के प्रदेश को बूर्बोवंश के सम्राट फर्डिनेंड   को सौंप दिया,रोम का राज्य पॉप को सौंप दिया। लोम्बार्डी एवं  वेनेशिया पर ऑस्ट्रिया का प्रभुत्व कायम हो गया। जर्मनी में 39 रियासतों का संघ कायम रहा जिस पर अप्रत्यक्ष रूप से ऑस्ट्रिया का अधिकार हो गया।   फ्रांस में बूर्बो राजवंश को पुनः स्थापित किया गया और लुई 18वाँ राजा बना। लुई 18वाँ ने प्रतिक्रियावादी तथा सुधारवादी शक्तियों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया। और 2 जून 1814 ई को संवैधानिक घोषणा पत्र जारी किया गया, जो 1848 ई तक ...