Class 10th History chapter 8 प्रेस संस्कृति और राष्ट्रवाद
आज के वर्तमान युग में प्रेस के बिना आधुनिक विश्व की कल्पना नहीं कुंज सकती है। यह हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है।
मुद्रण का इतिहास गुटेनबर्ग तक
लेखन सामग्री के आविष्कार के पूर्व मानव चट्टानों और गुफाओं में अनुभवों एवं प्रसंगों की खुदाई करके चित्रित करता था तथा मिट्टी के टिकिया का उपयोग करता था।
- 105 ई में टस - प्लाई - लून (चीनी नागरिक) ने कपास एवं मलमल की पत्तियों से कागज बनाया। जिसके फलस्वरूप कागज लेखन एवं चित्रांकन का एक साधन बन गया।
- 594 ई में लकड़ी के ब्लॉक के माध्यम से इसकी शुरुआत की गई।
- 760 ई तक इसकी लोकप्रियता चीन और जापान में काफी बढ़ गई।
- ब्लॉक प्रिंटिंग का उपयोग अब पुस्तकों के पृष्ठ बनाने में होने लगा। लगभग 10वी सदी के पूर्वार्द्ध तक ब्लॉक प्रिंटिंग की प्रक्रिया द्वारा मुद्रा पत्र भी छापे जाने लगे।
- 1041 ई में एक चीनी व्यक्ति पि- शेंग ने मिट्टी की मुद्रा बनाई।
- 16वी शताब्दी तक परीक्षा देने बालों की तादाद बढ़ने से छपी किताबों की मात्रा में भी उसी अनुपात में वृद्धि हुई।
- 19वी सदी आते आते शंघाई प्रिंट संस्कृति का एक नया केंद्र बन गया।
मुद्रण कला का आविष्कार तो पूरब में ही हुआ लेकिन इस कला का विकास यूरोप में अधिक हुआ। इसका प्रमुख कारण था कि चीनी,जापानी और कोरियन भाषा में 40 हजार से अधिक वर्णमाला थे,और सभी वर्णों का ब्लॉक बनाकर उपयोग करना कठिन कार्य था।
रोमन लिपि में वर्णों की संख्या कम होने के कारण लकड़ी तथा धातु के मूवेबल टाइपों का प्रसार तेजी से हुआ।
इसी बीच पूरब से कागज बनाए की कला यूरोप पहुंची। 1336 ई में प्रथम पेपर मिल की स्थापना जर्मनी में हुई।
गुटनवर्ग और प्रिंटिंग प्रेस
जर्मनी के मेंजनगर में गुटेनबर्ग का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही तेल और जैतून पेरनेवाली मशीनों से परिचित था। गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान और अनुभव से बिखरी मुद्रण कला को एकत्र करने का प्रयास किया।
गुटेनबर्ग का ऐतिहासिक मुद्रण शोधन 1440 वे वर्ष में शुरू हुआ।
इसके बाद गुटेनबर्ग ने पुनः मुद्रण एवं हैंडप्रेस का विकास कर 36 लाइन में बाइबल को 1448 ई में छापा।
1475 ई में सर विलियम कैक्सटन मुद्रणकला को इंग्लैंड में लाए।
पुर्तगाल में इसकी शुरुआत 1544 ई में हुई।
मुद्रण क्रांति का बहुआयामी प्रभाव
15वीं शताब्दी के उतरार्द्ध तक यूरोपीय बाजार में लगभग 2 करोड़ मुद्रित किताबें आई। जिसकी संख्या 16वीं सदी तक 20 करोड़ हो गई। इस मुद्रण क्रांति के कारण लोक चेतना एवं दृष्टि में बदलाव संभव हुआ।
किताबों की पहुंच आसान होने की वजह से पढ़ने की नई संस्कृति विकसित हुई। साक्षरता बढ़ने के लिए पुस्तकों को रोचक तस्वीरों, लोकगीत और लोककथाओं से सजाया जाने लगा।
धर्म सुधारक मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी 95 स्थापनाएं लिखी। और इसकी एक प्रति गिरजाघर के दरवाजे पर टांग दी गई। लूथर ने कहा कि मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है सबसे बड़ा तोहफा है।
अलग अलग संप्रदाय के चर्चों ने देहाती क्षेत्रों में स्कूल स्थापित कर गरीब तबके के लोगों को शिक्षित करना शुरू किया। जिससे साक्षरता 60 से 80 प्रतिशत हो गई।
इस प्रकार वैज्ञानिक और दार्शनिक बाते भी आम जनता की पहुंच से बाहर नहीं रही। जिसके कारण विज्ञान,तर्क और विवेकवाद के विचार लोकप्रिय साहित्य में जगह पाने लगे। छपाई ने वाद विवाद की नई संस्कृति को भी जन्म दिया।
तकनीकी विकास
18वीं सदी के अंत तक प्रेस धातु की बनने लगे थे। 19 वी सदी के मध्य तक न्यूयॉर्क के रिचर्ड एम. हो. ने शक्ति चलित बेलनाकार प्रेस को कारगर बना लिया था। इससे प्रतिघंटे 8000 ताव छापे जा सकते थे।
सदी के अंत तक ऑफसेट प्रेस आ गया था, जिससे छः रंगो में छपाई एक साथ संभव थी।
भारत में प्रेस का विकास
भारत में छापाखाना के विकास के पहले हाथ से लिख कर पांडुलिपियों को तैयार करने की पुरानी एवं समृद्ध परंपरा थी।
प्रिंटिंग प्रेस भारत में सबसे पहले पुर्तगाली धर्मप्रचारको द्वारा 16वीं सदी में लाया गया।
जेसुइट पुजारियों ने कोंकणी में कई पुस्तिकाएं छापी। कैथोलिक पुजारियों ने 1579 में पहली तमिल पुस्तक छापी।
समाचार पत्रों की स्थापना
आधुनिक भारतीय प्रेस का प्रारंभ 1766 ई में विलियम वोल्टस द्वारा एक समाचार पत्र के प्रकाशन से हुआ।
- 1780 ई में J.K. हिक्की ने बंगाल गजट नामक समाचार पत्र प्रकाशित करना प्रारंभ किया।
- नवम्बर 1780 में प्रकाशित इंडिया गजट दूसरा भारतीय पत्र था।
- 1821 में बंगला में संवाद कौमुदी तथा 1822 में फारसी में मीरातुल अखबार प्रकाशित हुई जिसके संस्थापक राजा राममोहन राय थे।
- 1822 में बंबई से गुजराती भाषा में दैनिक बंबई समाचार निकलने लगे।
- 1830 में बंदगत की स्थापना हुई।
- 1831 में जामे जमशेद , 1851 में गोफ़्तार तथा अखबारे सौदागर का प्रकाशन आरम्भ हुआ।
प्रेस की विशेषताएं - समयानुसार बदलते परिपेक्ष्य में
19वी सदी में समाचार पत्रों का वितरण कम था। फिर भी समाचार पत्रों ने भारतीय जनमत को जागृत किया।
भारत में दो प्रकार के प्रेस थे। एंग्लोइंडियन प्रेस और भारतीय प्रेस
- एंग्लोइंडियन प्रेस की प्रकृति और आकार विदेशी था। यह भारत में फुट डालो और शासन करो का पक्षधर था। यह दो समुदाय के बीच एकता के प्रयास का घोर आलोचक था। सरकारी खबरें एवं विज्ञापन इसी को मिलता था।
- भारतीय प्रेस अंग्रेजी तथा भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होते थे। 19वी और 20वी सदी में कुछ समाज सुधारक ने भारतीय प्रेस को शक्तिशाली और प्रभावकारी बनाया।
टाइम्स ऑफ इंडिया 1861 में, स्टेट्समैन 1875 में, इंग्लिशमैन कोलकाता से, मद्रासमेल मद्रास से, पायनियर 1865 में इलाहाबाद से और 1876 में सिविल और मिलिट्री गजट लाहौर से प्रकाशित होने लगी।
भारतीयों द्वारा प्रकाशित एवं संपादित पत्र
- 1858 ई में ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने सोम प्रकाश का प्रकाशन साप्ताहिक के रूप में बंगला में किया। लॉर्ड लिटन ने इनकी गतिविधियों के कारण ही वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट लागू किया था।
- 1874 - 1875 के बीच इस पत्र के संवाददाता सुरेन्द्रनाथ टैगोर और मनमोहन घोष ने इंडियन मिरर का प्रकाशन आरम्भ किया।
- केशवचंद्र सेन ने सुलभ समाचार का बंगला में दैनिक प्रकाशन किया।
- मोतीलाल घोष के संपादन में 1868 ई में अंग्रेजी - बंगला साप्ताहिक के रूप में अमृत बाजार पत्रिका का प्रकाशन किया। जो इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 1878 में वर्नाकूलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए यह रातों - रात अंग्रेजी में प्रकाशित होने लगी।
- जोगेंद्र नाथ बोस के संपादन 1881 में बंगवासी शुरू हुई जिसकी वितरण संख्या 8500 तक पहुंच गई।
- भारतेंदु की 1872 में प्रकाशित मासिक पत्रिका हरिश्चंद्र भी देशभप्रेम और समाज सुधार से अनुप्राणित थीं।
- 1899 ई में अंग्रेजी मासिक हिन्दुस्तान रिव्यू की स्थापना सच्चिदानंद सिन्हा ने की।
- बाल गंगाधर तिलक के संपादन में 1881 में बंबई से अंग्रेजी भाषा में मराठा और मराठी में केसरी की शुरुआत हुई।
- मद्रास में 1878 ई में साप्ताहिक रूप से प्रकाशित होनेवाला हिंदू 1881 में दैनिक के रूप में परिवर्तित हो गया।
- गांधी जी ने यंग इंडिया तथा हरिजन पत्रिका का संपादन किया।
- 1919-20 के बीच पत्रकारिता का भी विकास हुआ।
- मौलाना आजाद के संपादन में 1912 में अल हिलाल तथा 1913 में अल बिलाग कलकत्ता से निकलना प्रारंभ हुआ।
- मो अली ने अंग्रेजी में कामरेड तथा उर्दू में हमदर्द का प्रकाशन हुआ।
- 1910 ई में गणेश शंकर त्रिपाठी के संपादन में प्रताप का प्रकाशन कानपुर से प्रारंभ किया।
प्रेस का राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका तथा प्रभाव
- प्रेस के माध्यम से राष्ट्रीय नेताओं ने अंग्रेजी राज की शोषणकारी नीतियों का पर्दाफाश करते हुए जनजागरण फैलाने का कार्य किया।
- राजनीतिक समस्या में भाग लेने के लिए समाचार पत्र जनता को प्रोत्साहित करते थे।
- अंग्रेजों द्वारा भारत का जो आर्थिक शोषण हो रहा था इसके विरुद्ध भी प्रेस ने आवाज उठाई।
- दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी के प्रयासों का भारतीय प्रेसों ने उल्लेख किया।
- प्रेस ने गंगा यमुनी संस्कृति का पक्ष लिया और सांप्रदायिक एकता को बनाए रखने में मदद की।
प्रेस के विरुद्ध प्रतिबंध
समाचार पत्रों को नियंत्रित करने के लिए कई अधिनियम बनाए।
- 1799 का समाचार पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम
- 1823 के अनुज्ञप्ति नियम
- भारतीय समाचार पत्रों की स्वतंत्रता 1835
- 1857 का अनुज्ञप्ति अधिनियम
- 1867 का पंजीकरण अधिनियम
- देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878
- 1909 का समाचार पत्र अधिनियम
- 1910 का भारतीय समाचार पत्र अधिनियम
- 1931 का भारतीय समाचार पत्र अधिनियम
- समाचार पत्र जांच समिति
- 1951 का समाचार पत्र
स्वातंत्र्योत्तर भारत में प्रेस की भूमिका
आज के समय में पत्रकारिता साहित्य, मनोरंजन, ज्ञान-विज्ञान, राजनीति आदि को प्रत्यक्ष रूप में प्रभावित कर रहा है।
आज प्रेस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने हेतु सजग प्रहरी के रूप में हमारे सामने खड़ा है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. महात्मा गांधी ने किस पत्र का संपादन किया?
उत्तर - यंग इंडिया
2. किस पत्र ने रातों रात वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए अपनी भाषा बदल दी?
उत्तर - अमृतबाजार पत्रिका
3. 13वीं शताब्दी में किसने ब्लॉक प्रिंटिंग के नमूने यूरोप में पहुंचाए?
उत्तर - मार्कोपोलो
4. गुटेनबर्ग का जन्म किस देश में हुआ था?
उत्तर - जर्मनी
5. गुटेनबर्ग ने सर्वप्रथम किस पुस्तक की छपाई की ?
उत्तर - बाइबल
6. इंग्लैंड में मुद्रण कला को पहुंचाने वाला कौन था?
उत्तर - कैक्सटन
7 किसने कहा "मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा है"?
उत्तर - मार्टिन लूथर
8. रूसो कहा का दार्शनिक था?
उत्तर - फ्रांस
9. विश्व में सर्वप्रथम मुद्रण की शुरुआत कहा हुई?
उत्तर - चीन
10. किस देश की सिविल सेवा परीक्षा ने मुद्रित पुस्तकों की मांग बढ़ाई?
उत्तर - चीन
रिक्त स्थानों को भरे -
1. 1904 - 05 के रूस जापान युद्ध में रूस की पराजय हुई थी।
2. फिरोज शाह मेहता ने बॉम्बे कॉनिकल का संपादन किया।
3. वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878 ई में पास किया गया।
4. भारतीय समाचार पत्रों के मुक्तिदाता के रूप में चार्ल्स मेटकॉफ को विभूषित किया गया।
5. अल हिलाल का संपादन मौलाना आजाद ने किया।
सुमेलित करे।
1. J.K. हिक्की — (ग) बंगाल गजट
2. राममोहन राय — (क)संवाद कौमुदी
3. बाल गंगाधर तिलक — (घ) मराठा
4. केशवचंद्र सेन — (ङ) सुलभ समाचार
5. सुरेन्द्र नाथ बनर्जी — (ख) बंगाली
निम्नलिखित के बारे में 20 शब्दों में लिखे।
(क) छापाखाना— छापाखाना एक मशीन है जिसका उपयोग छपाई करने के लिए किया जाता है।
(ख) गुटेनबर्ग — गुटेनबर्ग का जन्म जर्मनी में हुआ था। और इन्होंने प्रिंटिंग प्रेस बनाया और सबसे पहले बाइबल की छपाई की।
(ग) बाइबल — बाइबल ईसाइयों का पवित्र ग्रंथ है।
(घ) रेशम मार्ग — एक प्राचीन व्यापार मार्ग जो एशिया और यूरोप को जोड़ता था। इसे सिल्क रूट भी कहा जाता है।
(ङ)मराठा — बाल गंगाधर तिलक के संपादन में 1881 में बंबई से अंग्रेजी भाषा में मराठा पत्रिका निकला गया।
(च)यंग इंडिया — महात्मा गांधी ने अपने विचारों एवं राष्ट्रवादी आंदोलन का प्रचार करने के लिए यंग इंडिया की शुरुआत की।
(छ) वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट — वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878 में देशी भाषी समाचार पत्रों में नियंत्रण लाने के लिए पारित किया।
(ज) सर सैयद अहमद — सर सैयद अहमद खां मुस्लिम नेता थे जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना किया था।
(झ) प्रोटेस्टेंट वाद — प्रोटेस्टेंट वाद ईसाई धर्म की एक शाखा है जो कैथोलिक चर्च से अलग होकर बनी है।
(ञ) मार्टिन लूथर — मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी 95 स्थापनाएं लिखी।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दे।
1. गुटेनबर्ग ने मुद्रणयंत्र का विकास कैसे किया?
उत्तर - गुटेनबर्ग ने हैंडप्रेस में लकड़ी के चौखट में दो समतल भाग प्लेट एवं बेड एक के नीचे दूसरा समानांतर रूप से रखे थे। कंपोज किया हुआ टाइप मैटर बेड पर कस किया जाता था एवं उसपर स्याही लगाकर तथा कागज रखकर प्लेट द्वारा दबाकर मुद्रित किया।
2. छापाखाना यूरोप कैसे पहुंचा?
उत्तर - लकड़ी के ब्लॉक द्वारा होनेवाली मुद्रण कला समरकंद-पर्शिया-सीरिया मार्ग से व्यापारियों द्वारा यूरोप पहुंचा।
3. इंक्विजिशन से आप क्या समझते हैं? इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर - इनक्विजिशन एक ऐतिहासिक न्यायाधिकरण था जो कैथोलिक चर्च द्वारा स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य धर्म से भटकने वाले को पकड़ना, उनकी जांच करना और उन्हें दंडित करना था।
धर्म को बनाए रखने के लिए इसकी जरूरत पड़ी।
4. पांडुलिपि क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर - पांडुलिपि एक हस्तलिखित ग्रंथ होता है, जिसे किसी लेखक, संगीतकार या प्रतिलिपिकार ने हाथ से लिखा हो। पांडुलिपियों की उपयोगिता ज्ञान के संरक्षण, ऐतिहासिक दस्तावेजों के अध्ययन और साहित्यिक कार्यों की मूल प्रति प्रदान करने में है।
5. लॉर्ड लिटन ने राष्ट्रीय आंदोलन को गतिमान बनाया। कैसे?
उत्तर - लॉर्ड लिटन, जो 1876 से 1880 तक भारत के वायसराय थे। उन्होंने अपनी नीतियों और कार्यों के माध्यम से भारतीयों में असंतोष और विरोध को बढ़ावा दिया, जिससे राष्ट्रीय आंदोलन को बल मिला।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. मुद्रण क्रांति ने आधुनिक विश्व को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर -
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