आय:- जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करता है, और उस कार्य के बदले उसे में जो परिश्रमिक मिलता है, उसे उस व्यक्ति की आय कहते है।
रैगनर नर्क्स ने गरीबी के कुचक्र की धारणा को बतलाया था। उन्होंने कहा था कि गरीबी गरीबी को जन्म देती है।
- निर्देशालय की इस रिपोर्ट के अनुसार 2008 - 09 में भारत के प्रतिव्यक्ति आय 25,494 रुपया है।
- बिहार का प्रतिव्यक्ति आय 2005-06 में 6,610 रुपया है।
- सर्वाधिक प्रतिव्यक्ति आय पटना तथा न्यूनतम प्रतिव्यक्ति आय शिवहर जिले का है।
राष्ट्रीय आय:- किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
- प्रो• अलफ्रेड मार्शल के अनुसार - किसी देश की श्रम एवं पूंजी का उसके प्राकृतिक साधनों पर प्रयोग करने से प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का जो शुद्ध समूह उत्पन्न होता है, उसे राष्ट्रीय आय कहते हैं।
- भारत में सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन राष्ट्रीय आय के आकलन के लिए उत्तरदायी है। इस कार्य में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन का सहायता करता है।
राष्ट्रीय आय की धारणा निम्नलिखित आयामों द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।
- सकल घरेलू उत्पादन
- कुल या सकल राष्ट्रीय उत्पादन
- शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन
1.सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) :- किसी देश में एक वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादित कुल मात्रा को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।
2. कुल या सकल राष्ट्रीय उत्पादन (Gross National Product) :- किसी देश में एक वर्ष के अंतर्गत जितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पादन कहते हैं।
3. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन (Net National Product) :- कुल राष्ट्रीय उत्पादन में से खर्चों को घटा देने से जो शेष बचता है वह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन कहलाता है।
भारत का राष्ट्रीय आय ऐतिहासिक परिवेश
भारत में सबसे पहले 1868 ई में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था।
उन्होंने अपनी पुस्तक Poverty and Unbritish Rule in India में प्रतिव्यक्ति वार्षिक आय 20 रुपया बताया।
स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने अगस्त 1949 ई में प्रो• P.C.महिलनोबिस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया और अप्रैल 1951 में रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
1948- 49 के लिए देश की कुल राष्ट्रीय आय 8650 करोड़ रुपए बताई गई। और प्रतिव्यक्ति आय 246.9 रुपए बताई गई।
1954 के बाद राष्ट्रीय आय के आंकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन की स्थापना की।
प्रति व्यक्ति आय
राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं।
राष्ट्रीय आय की गणना
राष्ट्रीय आय की गणना अनेक प्रकार से की जाती है -
- राष्ट्रीय आय की गणना जब उत्पादन के योग द्वारा किया जाता है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहते हैं।
- राष्ट्रीय आय की गणना जब राष्ट्र के व्यक्तियों की आय के आधार पर की जाती है, तो उसे आय गणना विधि कहते हैं।
- राष्ट्रीय आय की गणना जब लोगों के व्यय के माप से किया जाता है, तो उसे व्यय गणना विधि कहते हैं।
- उत्पादित हुई वस्तुओं का मूल्य विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों के द्वारा किए गए प्रयासों से बढ़ जाता है तो उस गणना को मूल योग गणना विधि कहते हैं।
- व्यवसायिक संरचना के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है, तो उसे व्यवसायिक गणना विधि कहते हैं।
राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयांराष्ट्रीय आय की गणना में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसे हम निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते है।
- आंकड़ों को एकत्र करने में कठिनाई :- पूरे देश के लोगों की आय को हम उत्पादन के रूप में या उसकी आय के रूप में आंकते है और इन आंकड़ों को एकत्र करने में अनेक कठिनाइयां आती हैं।
- दोहरी गणना की संभावना:- पूरे राष्ट्र के लोगों की उत्पादन अथवा आय के आंकड़ों को एकत्र करना सहज नहीं होता है। कभी कभी भौगोलिक और मानवीय संसाधन की संरचना के करें आय वास्तविक से अधिक देखने लगता है।
- मूल्य मापने में कठिनाई :- वस्तु का कई व्यापारिक स्थितियों से गुजरने के कारण उस वास्तुबक मूल्य में विभिन्नता आ जाती है।
विकास में राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय का योगदान
प्रत्येक देश अपने अपने तरीके से विकास की योजना बनती है, जिसका
लक्ष्य राष्ट्र के उपलब्ध साधनों की क्षमता को बढ़ाकर अधिक आय प्राप्त करना होता है। अतः हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय आय और प्रतिव्यक्ति आय ही राष्ट्र के आर्थिक विकास का सही मापदंड है।
राष्ट्रीय आय देश के अंदर पूरे वर्ष भर में उत्पादित शुद्ध उत्पति को कहते है। लेकिन उत्पति में वृद्धि तभी होगी जब उत्पादन में अधिक श्रमिकों को लगाया जाए।
यदि विकास की क्रिया के तहत राष्ट्रीय आय एवं प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है तो गरीबों द्वारा प्राप्त आय में कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यदि बड़ी हुई आय का सब हिस्सा अमीरों के पास चला जाएगा तो राष्ट्रीय आय में वृद्धि होते हुए भी संतुलित आर्थिक विकास नहीं होगा। इसी कारण इन दिनों सरकार के योजना आयोग के द्वारा समावेशी विकास पर बल दिया जा रहा है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सन् 2008-09 के अनुसार भारत की औसत प्रतिव्यक्ति आय है।
उत्तर:- 25,494 रुपए
2.भारत में वित्तीय वर्ष कहा जाता है?
उत्तर:- 1 अप्रैल से 31 मार्च तक
3. भारत के किस राज्य का प्रतिव्यक्ति आय सर्वाधिक है?
उत्तर:- गोवा
4. बिहार के किस जिले का प्रतिव्यक्ति आय सर्वाधिक है?
उत्तर:- पटना
5. उत्पादन एवं आय गणना विधि आर्थिक दृष्टिकोण से है।
उत्तर:- सहज , वैज्ञानिक और व्यवहारिक
रिक्त स्थानों की पूर्ति करे।
- बिहार की 41.4 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है।
- उत्पादन,आय एवं व्यय एक चक्रीय समूह का निर्माण करते हैं।
- राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होती है।
- राष्ट्रीय आय एवं प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने से विकास की क्रिया पूरी होती है।
- बिहार में वर्ष 2008 - 09 के बीच घरेलू उत्पाद 11.03 प्रतिशत हो गया।
सही एवं गलत कथन की पहचान करें।
- राष्ट्रीय आय एक दिए हुए समय में किसी अर्थव्यवस्था की उत्पादन शक्ति को मापती है। सही
- उत्पादन आय एवं व्यय एक चक्रीय समूह का निर्माण नहीं करती है। गलत
- भारत की प्रतिव्यक्ति आय अमेरिका के प्रतिव्यक्ति आय से अधिक है। गलत
- दादा भाई नौरोजी के अनुसार 1868 में भारत की प्रतिव्यक्ति आय 20 रुपया थी। सही
- बिहार के प्रतिव्यक्ति आय में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक है। सही
संक्षिप्त रूप को पूरा करे।
- G.D.P. - Gross Domestic Product
- P.C.I.- Per Capita Income
- N S.S.O.-National sample survey organisation
- C.S.O.- Central Statistical Organisation
- G.N.P.- Gross National Product
- N.N.P.- Net National Product
- N.I.- National Income
- E.D.I- Economics Development of India
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करता है, और उस कार्य के बदले उसे में जो परिश्रमिक मिलता है, उसे उस व्यक्ति की आय कहते है।
2. सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- किसी देश में एक वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादित कुल मात्रा को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।
3. प्रति व्यक्ति आय क्या है?
उत्तर:- राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं।
4. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किनके द्वारा की गई थी?
उत्तर :- भारत में सबसे पहले 1868 ई में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था।
5. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था के द्वारा होती है?
उत्तर:- भारत में राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के द्वारा होती है।
6. राष्ट्रीय आय की गणना में होनेवाली कठिनाइयों का वर्णन करें?
उत्तर :- राष्ट्रीय आय की गणना में होनेवाली कठिनाइयां निम्न है-
- आंकड़ों को एकत्र करने में कठिनाई
- दोहरी गणना की संभावना
- मूल्य के मापने में कठिनाई
7.आय का गरीबी के साथ संबंध स्थापित करें।
उत्तर:- गरीबी के कारण आय कम होती है। जिससे अशिक्षा और अज्ञानता के कारण बच्चों का जन्म अधिक होता है और उसकी अगली पीढ़ी भी गरीब हो जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने कब और किस उद्देश्य से राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया।
उत्तर:- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने अगस्त 1949 ई में प्रो• P.C. महालनोबिस की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया था जिसका उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय आय के संबंध में अनुमान लगाना था।
2. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दे। इसकी गणना की प्रमुख विधि कौन कौन सी है?
उत्तर:- किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
राष्ट्रीय आय की गणना अनेक प्रकार से की जाती है -
- राष्ट्रीय आय की गणना जब उत्पादन के योग द्वारा किया जाता है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहते हैं।
- राष्ट्रीय आय की गणना जब राष्ट्र के व्यक्तियों की आय के आधार पर की जाती है, तो उसे आय गणना विधि कहते हैं।
- राष्ट्रीय आय की गणना जब लोगों के व्यय के माप से किया जाता है, तो उसे व्यय गणना विधि कहते हैं।
- उत्पादित हुई वस्तुओं का मूल्य विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों के द्वारा किए गए प्रयासों से बढ़ जाता है तो उस गणना को मूल योग गणना विधि कहते हैं।
- व्यवसायिक संरचना के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है, तो उसे व्यवसायिक गणना विधि कहते हैं।
3. प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर स्पष्ट करे।
उत्तर:- राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं।
किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
4. राष्ट्रीय आय में वृद्धि भारतीय विकास के लिए किस प्रकार लाभप्रद है, वर्णन करें।
उत्तर:- यदि विकास की क्रिया के तहत राष्ट्रीय आय एवं प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है तो गरीबों द्वारा प्राप्त आय में कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यदि बड़ी हुई आय का सब हिस्सा अमीरों के पास चला जाएगा तो राष्ट्रीय आय में वृद्धि होते हुए भी संतुलित आर्थिक विकास नहीं होगा। इसी कारण इन दिनों सरकार के योजना आयोग के द्वारा समावेशी विकास पर बल दिया जा रहा है। कुछ परिस्थितियों को छोड़कर यदि राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तो समाज के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होगी।
5. विकास में प्रतिव्यक्ति आय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखे।
उत्तर:- जहां प्रतिव्यक्ति आय कम है वहां अशिक्षा का स्तर ज्यादा है एवं भाषा ,जीवनशैली और संस्कृति की बहुतायत है। यदि हम अपने प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि करते है तो हम अपने जीवन स्तर को सुधार सकते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार निरंतर बढ़ता गया जिससे गरीबी और बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न हो गई। यह बेरोज़गारी प्रतिव्यक्ति आय को कम तथा गरीबी को बढ़ावा देती है। और यदि श्रम शक्ति को गैर कृषि क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करते है तो यह राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
6. क्या प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है, वर्णन करें?
उत्तर:- प्रत्येक देश अपने अपने तरीके से विकास की योजना बनती है, जिसका लक्ष्य राष्ट्र के उपलब्ध साधनों की क्षमता को बढ़ाकर अधिक आय प्राप्त करना होता है। अतः हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय आय और प्रतिव्यक्ति आय ही राष्ट्र के आर्थिक विकास का सही मापदंड है।
राष्ट्रीय आय देश के अंदर पूरे वर्ष भर में उत्पादित शुद्ध उत्पति को कहते है। लेकिन उत्पति में वृद्धि तभी होगी जब उत्पादन में अधिक श्रमिकों को लगाया जाए।तो यदि इससे प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होगी तो राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होगी।
~By :- Shashank Kumar Prajapati
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