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Class - 10th Civics chapter 1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी

 

Class - 10th Civics chapter 1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी

 जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए किया गया शासन ही लोकतंत्र कहलाता है। 

लोकतंत्र ऐसी व्यवस्था है जिसमें लोगों के लिए एवं लोगों के द्वारा ही शासन चलाया जाता है। 

शासन में लोक प्रतिनिधि लोगो के हित का तथा उसके इच्छा का सर्वोपरी महत्व देना चाहते है। यही कारण है कि शासन के लोकतांत्रिक व्यवहार समाज में उभरते द्वंद से प्रभावित होता है। 

1961 में मुंबई में मराठियों की संख्या 34% थी जो 2001 में बढ़कर 57% से अधिक हो गई। जिसके कारण उत्तर भारतीय हिंदी भाषी लोगों को दूर - दूराते रहते हैं। 

रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में मैसूर में बिहारी छात्रों के साथ मारपीट की गई। असम में बिहारियों की हत्या की गई। 

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें हिंसा कितनी में शिकार होनेवाले की पहचान केवल क्षेत्र- विशेष था। न कि जाती , धर्म, संप्रदाय। 


मैक्सिको के ओलंपिक समारोह में विरोध का रूप नस्ल पर आधारित था।

बेल्जियम में सामाजिक विभाजन का आधार , नस्ल और जाति नहीं बल्कि भाषा विभाजन का आधार है। 

श्रीलंका में सामाजिक विभाजन क्षेत्रीय और सामाजिक दोनों स्तर पर है।


 


भारत में सामाजिक विभाजन बहुत ही जटिल है यहां उत्तर भारतीयों की संस्कृति एवं दक्षिण भारत की संस्कृति में बड़ा अंतर है। भाषायी अंतराल भी बड़ा है जातियों के बीच संघर्ष एवं तनाव की प्रवृति सर्वव्याप्त है। दलित एवं पिछड़ों की भी अपनी अपनी समस्याएं है। 


अनुच्छेद 19 - देश के सभी नागरिकों को स्वतन्त्रता का मूल अधिकार। 

देश के सभी नागरिकों भारत के किसी भी राज्य में निवास करने का , बस जाने का , व्यवसाय अथवा व्यापार करने का अधिकार है। 

अनुच्छेद - 15 किसी भी व्यक्ति से धर्म, वंश , जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव का निषेध किया गया है।  

 सामाजिक विभाजन की राजनीति तीन तत्त्वों पर निर्भर करती है. -

प्रथम : लोग अपनी पहचान स्व-अस्तित्व तक ही सीमित रखना चाहते हैं क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में राष्ट्रीय चेतना के अलावा उपराष्ट्रीय या स्थानीय चेतना  भी होते हैं।


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जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए किया गया शासन ही लोकतंत्र कहलाता है। 

लोकतंत्र ऐसी व्यवस्था है जिसमें लोगों के लिए एवं लोगों के द्वारा ही शासन चलाया जाता है। 

शासन में लोक प्रतिनिधि लोगो के हित का तथा उसके इच्छा का सर्वोपरी महत्व देना चाहते है। यही कारण है कि शासन के लोकतांत्रिक व्यवहार समाज में उभरते द्वंद से प्रभावित होता है। 

1961 में मुंबई में मराठियों की संख्या 34% थी जो 2001 में बढ़कर 57% से अधिक हो गई। जिसके कारण उत्तर भारतीय हिंदी भाषी लोगों को दूर - दूराते रहते हैं। 

रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में मैसूर में बिहारी छात्रों के साथ मारपीट की गई। असम में बिहारियों की हत्या की गई। 

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें हिंसा कितनी में शिकार होनेवाले की पहचान केवल क्षेत्र- विशेष था। न कि जाती , धर्म, संप्रदाय। 



मैक्सिको के ओलंपिक समारोह में विरोध का रूप नस्ल पर आधारित था।

बेल्जियम में सामाजिक विभाजन का आधार , नस्ल और जाति नहीं बल्कि भाषा विभाजन का आधार है। 

श्रीलंका में सामाजिक विभाजन क्षेत्रीय और सामाजिक दोनों स्तर पर है।



 



भारत में सामाजिक विभाजन बहुत ही जटिल है यहां उत्तर भारतीयों की संस्कृति एवं दक्षिण भारत की संस्कृति में बड़ा अंतर है। भाषायी अंतराल भी बड़ा है जातियों के बीच संघर्ष एवं तनाव की प्रवृति सर्वव्याप्त है। दलित एवं पिछड़ों की भी अपनी अपनी समस्याएं है। 



अनुच्छेद 19 - देश के सभी नागरिकों को स्वतन्त्रता का मूल अधिकार। 

देश के सभी नागरिकों भारत के किसी भी राज्य में निवास करने का , बस जाने का , व्यवसाय अथवा व्यापार करने का अधिकार है। 

अनुच्छेद - 15 किसी भी व्यक्ति से धर्म, वंश , जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव का निषेध किया गया है।



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