Class 10 History chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद

 राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ होता है राष्ट्रीय चेतना का उदय। 

भारत में राष्ट्रीय चेतना का उदय। 

राष्ट्रवाद के उदय के कारण 

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारणों को निम्न वर्ग में बांटा जा सकता है -

 राजनीतिक कारण

1858 ई में महारानी विक्टोरिया के उद्घोषणा के साथ ही सभी देशी राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गए। 

  • 1878 ई में वायसराय लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट पारित कर प्रेस पर कठोर प्रतिबंध लगाया। 
  • 1879 में आर्म्स एक्ट के द्वारा भारतीय को अस्त्र शस्त्र रखना प्रतिबंध कर दिया। 
  • 1883 ई में इलबर्ट बिल पारित हुआ। 
  • 1899 में लॉर्ड कर्जन ने कलकत्ता कॉरपोरेशन एक्ट पारित किया।
  • 1904 में विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा विश्वविद्यालयों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा दिया। 
  • 1905 में बंगाल विभाजन सांप्रदायिकता के आधार पर किया गया जिसे 1911 में रद्द करना पड़ा। 
  • 1907 में देश द्रोही सभा अधिनियम सभाओं पर रोक लगाया गया। 
  • 1910 में इंडियन प्रेस एक्ट पारित किया। जिसके द्वारा उत्तेजित लेख छापने वाले को दंडित किया जाएगा। 
  • डलहौजी के संरचनात्मक योजना के अंतर्गत भारत में रेलवे, टेलीग्राफ लाइन, एवं परिवहन व्यवस्था की शुरुआत हुई। 

आर्थिक कारण

भारत में अंग्रेजों ने जो आर्थिक नीतियां अपनाई उसके परिणामस्वरूप भारतीय कृषि और कुटीर उद्योग को काफी धक्का लगा। 

स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के द्वारा जमींदारों को एक निश्चित भू राजस्व कर के रूप में सरकार को देना पड़ता था। जमींदार किसानों से उनसे अधिक कर वसूलते थे। 

अंग्रेजों ने भारत में बने कपड़े के निर्यात पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए,जबकि इंग्लैंड में बने कपड़े भारत में बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। 

सरकार द्वारा 1882 में सूती कपड़ों पर से आयत कर हटा लिया गया था। 

सामाजिक कारण

भारत में भारतीय को रेलगाड़ी में क्लबों में, सड़क और होटलों में अंग्रेजों भारतीय के साथ दुर्व्यवहार करते थे। 

भारत का शासन अधिकतम सिविल सर्विस के अधिकारियों के हाथ में था। 

भारत के पहले सिबिल सर्विस अधिकारी सुरेंद्रनाथ बनर्जी थे। 

धार्मिक कारण

19वी शताब्दी में अनेक महापुरुषों ने सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की। 

इन महापुरुषों में राजा राममोहन राय, देवेंद्र नाथ ठाकुर, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद के नाम उल्लेखनीय है। 

लाल बाल पाल के नेतृत्व में 1914 में राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत हुई। और अंग्रेजी सरकार ने भारत को एक युद्धकारी देश घोषित किया। 

प्रथम विश्वयुद्ध के कारण और परिणाम का भारत से अंतर्सम्बन्ध 

(क) प्रथम विश्वयुद्ध का संक्षिप्त परिचय

प्रथम विश्वयुद्ध 1914 में आरम्भ होकर 1918 तक चला था। यह युद्ध दो गुटों मित्र राष्ट्र और केंद्रीय शक्ति के बीच हुआ था। यह युद्ध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पूरे विश्व को प्रभावित किया। 

(ख) कारणों के साथ भारत का संबंध

ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण उपनिवेश था। इसलिए युद्ध आरम्भ होते ही ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य एक जिम्मेदार सरकार की स्थापना करना है। अतः 1916 में सरकार ने भारत में आयत शुल्क लगाया ताकि भारत में कपड़ा उद्योग का विकास हो सके और उसका फायदा अंग्रेजों को मील सके। 

(ग) प्रथम महायुद्ध के समय का भारतीय घटनाक्रम

रक्षा व्यय ने इजाफा हुआ जिससे महंगाई बढ़ गई। 

1915-17 के बीच एनी बेसेंट और तिलक ने आयरलैंड से प्रेरित होकर भारत में  होमरूल  आंदोलन की शुरुआत आरम्भ किया। 

1913 में लाल हरदयाल के प्रयास से कनाडा और अमेरिका में रहने वाले भारतीयों ने गदर पार्टी की स्थापना की। 

1916 में दो महत्वपूर्ण घटना हुई - 

  1. कांग्रेस के दोनों दल नरम और गरम दल एक हो गए। 
  2. कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच साझा राजनीतिक आंदोलन चलने को लेकर समझौता हुआ। 
(घ) प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर प्रभाव 

इस युद्ध के बाद भारत की स्थिति बदलने लगी महंगाई तथा बेरोजगारी बढ़ाने लगी। 

1919 में रोलैंट एक्ट पारित का पारित होना, और इसके विरोध में जालियांवाला बाग हत्याकांड हुआ। 

इस युद्ध के प्रभाव के रूप में खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई  और इसी आंदोलन में असहयोग आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। 1916 में लखनऊ समझौता भी हुआ। 

रॉलेट एक्ट के विरोध में सत्याग्रह 

21 मार्च 1919 को केंद्रीय विधान परिषद में यह अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत एक विशेष न्यायालय का गठन होना था जिसके निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं की जा सके। और किसी भी व्यक्ति को अमान्य साक्ष्य और बिना वारंट के भी गिरफ्तार किया जा सकता है। 

रॉलेट एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल 1919 को देशव्यापी हड़ताल आयोजित की गई और विरोध का परिणाम जलियांवाला बाग हत्याकांड के रूप में हुआ। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड 

6 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल के बाद 9 अप्रैल 1919 को दो स्थानीय नेता डॉ सत्यपाल एवं किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया। 

इनकी गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा बुलाई गई जहां मजिस्ट्रेट जरनल ओ डायर ने बिना किसी चेतावनी के शांतिपूर्ण चल रही सभा पर गोली चलाकर लगभग 1000 लोगों की हत्या कर दी। और इसके बाद पंजाब में मार्शल लॉ लगा दिया गया। 

इस नरसंहार के विरोध में

  •  रविन्द्र नाथ टैगोर ने नाइट की उपाधि त्याग दी। 
  • शंकरन नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी त्याग दी। 
  • गांधी जी में कैंसर ए हिंद की उपाधि त्याग दी। 

खिलाफत आंदोलन 

1920 में भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के प्रति ब्रिटेन को अपनी नीति बदलने के लिए बाध्य करने के लिए जोरदार आंदोलन शुरू किया, जिसे खिलाफत आंदोलन कहा गया। 

खिलाफत आंदोलनकारियों की तीन मांग थी - 

  1. तुर्की के सुल्तान को पर्याप्त लौकिक अधिकार प्रदान किए जाए ताकि वह इस्लाम की रक्षा कर सके। 
  2. अरब प्रदेश को मुस्लिम शासन के अधीन किया जाए। 
  3. खलीफा को मुसलमानों के पवित्र स्थलों का संरक्षक बनाया जाए। 
असहयोग आंदोलन 

असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में किया गया प्रथम जन आंदोलन था। इसके मुख्य तीन कारण थे - 

  1. खिलाफत का मुद्दा
  2. पंजाब में सरकार के  बर्बर कारवाइयों के  विरुद्ध न्याय प्राप्त करना। 
  3. स्वराज की प्राप्ति करना। 
इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रम अपनाए गए। 
  1. अंग्रेजी सरकार को कमजोर एवं नैतिक रूप से पराजित करना। 
  2. स्वदेशी को अपनाना। 
महात्मा गांधी के नेतृत्व में जनवरी 1921 ई में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई। संपूर्ण भारत में आंदोलन को सफलता मिली। 
प्रिंस ऑफ वेल्स का स्वागत 17 नवंबर 1921 को मुंबई में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के साथ किया गया। 
सरकार ने आंदोलन को गैर कानूनी करार देते हुए 30000 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में राजनीतिक जुलूस पर पुलिस ने फायरिंग की जिसके विरोध में भीड़ ने थाना पर हमला करके 5 फरवरी 1922 ई को 22 पुलिसकर्मी की जान ले ली। 
जिसके परिणामस्वरूप 12 फरवरी 1922 को गांधी जी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया, और ब्रिटिश सरकार ने गांधीजी को मार्च 1922 में गिरफ्तार करने 6 वर्षो की कारावास की सजा सुनाई। 
इस प्रकार इस आंदोलन का गला घोट दिया गया। 

सविनय अवज्ञा आंदोलन 
गांधीजी के नेतृत्व में 1930 में यह आंदोलन शुरू किया गया यह दूसरा जन आंदोलन था। 
  1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण निम्नलिखित हैं - साइमन कमीशन :- 1919 के एक्ट को पारित करते समय ब्रिटिश सरकार ने यह घोषणा की थी की 10 वर्षों के पश्चात पुनः इन सुधारों की समीक्षा होगी। परंतु 1927 में ही सरकार ने 7 सदस्यीय आयोग बना दिया जिसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। 3 फरवरी 1928 को बंबई पहुंचने पर साइमन कमीशन का स्वागत काले झंडे, हड़ताल और प्रदर्शन से हुआ और प्रदर्शनकारियो ने साइमन वापस है के नारे भी लगाए। 
  2. नेहरू रिपोर्ट :- साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय तात्कालिक भारत सचिव लॉर्ड बीरकनहैड ने भारतीयों को एक ऐसे संविधान के निर्माण की चुनौती दी थी।इस चुनौती का जबाव देने के लिए कांग्रेस ने एक सम्मेलन आयोजित किया जिसके अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू थे। 
  3. विश्वव्यापी आर्थिक मंडी का प्रभाव :- 1929-30 की आर्थिक मंडी का भरता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। 
  4. समाजवाद का बढ़ता प्रभाव:- इस समय मार्क्सवाद और समाजवाद के विचार तेजी से फैल रहे थे। 
  5. एससीडी क्रांतिकारी आंदोलन का उभार:- अप्रैल 1930 में चटगांव में सरकारी शस्त्रागार पर छापा मारा , जिसका नेतृत्व सूर्यसेन कर रहे थे। 
  6. पूर्ण स्वराज की मांग:- 31 दिसंबर 1929 की मध्य रात्रि को रवि नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया। और पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा। 
  7. गांधी का समझौतावादी रुख:- गांधीजी ने लॉर्ड इरविन के साथ 11 सूत्री मांग को रखा लेकिन मांग पूरा हुए बिना गांधीजी ने आंदोलन समाप्त कर दिया। 
दांडी यात्रा(12 मार्च से 6 अप्रैल 1930)
गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत दांडी यात्रा से की। 
12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ दांडी समुद्र तट तक की यात्रा 24 दिनों में (250 k.m) तय कर 5 अप्रैल को दांडी पहुंचे और 6 अप्रैल को नमक बनकर नमक कानून का उल्लंघन किया। 
बिहार में आंदोलन का प्रसार
  • सिवान जिले में चौकीदारी कर विरोध में आंदोलन गंगा प्रसाद राय के नेतृत्व में शुरू हुआ।
  • छपरा जेल के कैदियों ने विदेशी वस्त्र पहनने से इनकार कर दिया। 
  • गया में चंद्रावती देवी ने चौकीदार कर के विरोध में आंदोलन चलाया। 
गांधी-इरविन पैक्ट 
सविनय अवज्ञा आंदोलन के समझौता के लिए सरकार को गांधीजी से वार्ता करनी पड़ी। जिसे गांधी-इरविन पैक्ट और दिल्ली समझौता भी कहा जाता है। यह 5 मार्च 1931 ई को संपन्न हुआ। 
सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम
  1. इस आंदोलन में राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया। 
  2. इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया।
  3. आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी विशेष महत्व रखती हैं। 
  4. इस आंदोलन के अंतर्गत आर्थिक बहिष्कार ने ब्रिटिश आर्थिक हितों को प्रभावित किया। 
  5. इस आंदोलन के दौरान वानर सेना और मंजरी सेना संगठन को एक नया रूप प्रदान किया। 
  6. सविनय अवज्ञा आंदोलन ने श्रमिकों एवं कृषक आंदोलन को भी प्रभावित किया। 
  7. इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई को शासन अधिनियम पारित किया जाना था। 
  8. पहली बार ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत की। 
 किसान आंदोलन
चंपारण आंदोलन (1917)
बिहार में मिल उत्पादन में अंग्रेजों द्वारा तिनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी। किसान मिल की खेती करना नहीं चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती हैं। 
1916 ई में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चंपारण के एक किसान राजकुमार शुक्ल ने इस समस्या को आगे की ओर आकृष्ट कराया और गांधीजी से चंपारण आने का अनुरोध किया।
गांधीजी के चंपारण आने पर सरकार ने उन्हें चंपारण छोड़ने का आदेश दिया। 
गांधीजी के दबाव मे तथा कमिटी की सिफारिश पर तिनकठिया व्यवस्था समाप्त कर दी गई। 
खेड़ा आंदोलन
गुजरात के खेड़ा जिले में गांधीजी ने लगान की माफी के लिए किसानों की मांग का समर्थन किया। किंतु सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया। 
22 जून 1918 को गांधीजी ने सत्याग्रह का आवाहन किया, जो 1 महीने तक जारी रहा। 
सरकार द्वारा दमनकारी उपाय समाप्त करने से तथा रबी की अच्छी फसल होने से स्थिति में बदलाव आया और गांधीजी ने सत्याग्रह समाप्त करने की घोषणा कर दी।
मोपला विद्रोह
यह विद्रोह केरल के मालाबार तट पर हुआ था।
मोपला स्थानीय पट्टेदार और खेतिहर थे, जो इस्लाम धर्म के अनुयाई थे। जबकि नंदूबरी एवं नायर भू स्वामी उच्च जातीय हिंदू थे। 
19वी  शताब्दी में मोपला किसानों का लगान का बोझ बढ़ा और भूमि से उसके अधिकार नियंत्रित किए जाने लगे। 
1921 में कांग्रेस ने किसानों के हित में भूमि एवं राजस्व की मांग की और खिलाफत आंदोलन को समर्थन दे दिया। 
1921 में विद्रोहियों के खिलाफ सैनिक कार्यवाही हुई। और दिसम्बर तक दस हजार से अधिक विद्रोही मारे गए और पचास हजार से अधिक बंदी बना लिए गए। इस प्रकार विद्रोह समाप्त हो गया। 

बारडोली सत्याग्रह
फरवरी 1928 में गुजरात के सूरत जिले के बारडोली में लगान बढ़ाने के खिलाफ आंदोलन हुआ। इसमें बल्लभ भाई पटेल की निर्णायक भूमिका रही। इसी अवसर पर वे सरदार कहलाए। 
किसानों के समर्थन में बंबई में रेलवे में हड़ताल हुई और सरकार ने लगान की दर में कमी की। 

किसान सभा का गठन 
1920 के दशक में बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब में किसान सभाओं का गठन हुआ। 
11 अप्रैल 1936 को लखनऊ में आखिल भारतीय किसान सभा का गठन हुआ। 

मजदूर आंदोलन 
1917 ई में अहमदाबाद में प्लेग की महामारी के कारण मजदूरों को शहर छोड़कर जाने से रोकने के लिए मिल मालिकों उनके वेतन में वृद्धि कर दी और महामारी खत्म होने पर समाप्त कर दिया। इससे मजदूर असंतुष्ट थे। 
और गांधीजी ने मजदूरी की मांग का समर्थन किया।
31 अक्टूबर 1920 को कांग्रेस पार्टी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना की। 

जनजातीय आंदोलन
19वी शताब्दी की तरह 20वी शताब्दी में भी अनेक आदिवासी विद्रोह हुए।
  • गोदावरी के रम्पा प्रदेश में 1916 में विद्रोह हुआ। 
  • 1922 - 24 में अलमुरी सीताराम राजू के नेतृत्व में विद्रोह हुआ। साहूकारों का शोषण, झूम खेती और चराई पर रोक लगाने के कारण वन विभाग के खिलाफ राजू ने छापामार युद्ध छेड़ दिया।    6 मई 1924 को राजू को गिरफ्तार कर गोली मार दी गई और सितम्बर 1924 तक विद्रोह का दामन हो गया। 
  • उड़ीसा में अक्टूबर 1914 में खोंड विद्रोह हुआ। अंग्रेजों ने इस विद्रोह का दमन करने के लिए खोंडो के गांवों को जलाकर नष्ट कर दिया। 
  • छोटानागपुर के उरावो में 1914 - 1920 तक विद्रोह चला। इसके नेता जतरा भगत थे। 
भारतीय राष्टीय कांग्रेस 

भारतीय राष्टीय आंदोलन की शुरुआत 19वी शताब्दी के अंतिम चरण में भारतीय राष्टीय कांग्रेस की स्थापना से माना जाता है। 

  • 1883 ई को दिसम्बर में इंडियन एसोसिएशन के सचिव आनंद मोहन बोस ने कलकत्ता में नेशनल कॉन्फ्रेंस नामक एक अखिल भारतीय संगठन का सम्मेलन बुलाया। 
  • एलेन ऑक्ट्रोवियन ह्यूम ने 1884 में भारतीय राष्टीय संघ की स्थापना की। 
  • 25 - 28 दिसम्बर 1885 को पूना में भारतीय राष्टीय संघ का बैठक गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज बंबई में हुआ था।
  • 28 दिसम्बर 1885 सोमवार को इस संगठन का नाम बदलकर अखिल भारतीय राष्टीय कांग्रेस कर दिया गया। 
  • इसकी अध्यक्षता व्योमेशचंद्र बनर्जी ने की थी। 
  • इसमें कुल 72 सदस्य शामिल थे। 

वामपंथी/कम्युनिस्ट पार्टी 

20वी शताब्दी के प्रारंभिक काल में ही भारत में साम्यवादी विचारधारा शुरू हो गई थी। रूसी क्रांति के बाद 1920 में M.N. राय ने ताशकंद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। बाद में ये लोग आतंकवादी राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़ने लगे। इसलिए असहयोग आंदोलन के समाप्ति के बाद सरकार ने इनका दमन शुरू कर दिया। 

पेशावर षडयंत्र केस (1922- 23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924), मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) के तहत 8 लोगों पर मुकदमा चलाए गए। और इन्हें साम्यवादी शहीद कहा जाने लगा। 

  • अखिल भारतीय स्तर पर दिसम्बर 1928 में अखिल भारतीय मजदूर किसान पार्टी बनी। 
  • अक्टूबर 1934 ई में बंबई में कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना की गई। 
  • 1931 में बिहार समाजवादी दल की स्थापना जयप्रकाश बाबू ने कर दी। 
मुस्लिम लीग 

1857 के विद्रोह में हिंदू मुस्लिम एकता ने अंग्रेजों को अचंभित कर दिया। इसी विद्रोह के बाद फुट डालो और शासन कारों की नीति की शुरुआत हुई। 

  • 1877 में सर सैयद अहमद खां ने 1877 में ही मोहम्मडन एंग्लो ओरियन्टल कॉलेज अलीगढ़ में स्थापित किया। 
  • 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा कर पूरे बंगाल को दो भागों मे बात दिया। 
  • नवाब मोहसिन - उल - मुल्क 35 मुस्लिम नेताओं का प्रतिनिधि मंडल लेकर सर आगा खां के नेतृत्व में अक्टूबर 1906 में लॉर्ड मिंटो से मिला। और आग खां ने मुस्लिम लीग के स्थापना की नींव डाली। 
  • ढाका के नवाब शमीमुल्लाह खां ने ऑल इंडिया मुस्लिम कांफिडेंसी नामक संस्था का सुझाव दिया।
  • और 30 दिसम्बर 1906 को ढाका में इसका सम्मेलन बुलाया गया जहां इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया मुस्लिम लीग रखा गया।
  • बाद में यह पार्टी मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने कांग्रेस से अलग होकर शासन में अलग प्रतिनिधित्व एवं प्रतिनिधि क्षेत्र की मांग रखनी शुरू की। 

स्वराज पार्टी

असहयोग आंदोलन के एकाएक वापसी से उत्पन्न निराशा से मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास ने कांग्रेस के पद त्याग दिए और स्वराज पार्टी की स्थापना की। और इसका प्रथम सम्मेलन मार्च 1923 में इलाहाबाद में हुआ। 

राष्ट्रीय सेवक संघ (R.S.S)

R.S.S अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मुख्य अवधारणा हिंदु - हिन्दुत्व, हिंदू राष्ट्र की थी। इसकी स्थापना 1925 में हुई थी।  

  • 1830 में कलकत्ता के राधाकांत ने धर्मसभा स्थापित कर धर्म सुधारो को शुरू किया। 
  • 1875 में बंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर, वेदों की ओर लौटो का नारा दिया। 
  • 1915 में पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा हरिद्वार में हिंदू महासभा की स्थापना की गई। 
  • इसी समय बाल गंगाधर तिलक के अनुयायी K.B.हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। 

इस प्रकार 1914 से लेकर 1930 के बीच भारतीय राष्टीय आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था,जिसमें गांधीजी के नेतृत्व में भारतीय राष्टीय कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की?

उत्तर:- लाला हरदयाल 1913

2. जलियांवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ ?

उत्तर:- 13 अप्रैल 1919

3. लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?

उत्तर:- 1916

4. असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?

उत्तर:- सितंबर 1920, कलकत्ता 

5. भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ?

उत्तर:- 1920 तुर्की

6. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुई?

उत्तर:- 1930 दांडी

7. पूर्ण स्वराज की मांग का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ? 

उत्तर:- 1929 लाहौर

8. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की?

उत्तर:- 1925, के.बी हेडगेवार

9. बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई? 

उत्तर:- बारडोली 

10. रम्पा विद्रोह कब हुआ? 

उत्तर :- 1916 

रिक्त स्थानों की पूर्ति करे।

  1. बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने होमरूल लीग आंदोलन की शुरुआत की।
  2. महात्मा गांधी भारत में खिलाफत आंदोलन के नेता थे। 
  3. 25 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन स्थगित हो गया। 
  4. साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। 
  5. 1857 में भू - राजस्व कर के विरोध में आंदोलन प्रारंभ हुआ। 
  6. भारतीय राष्टीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष W.C. बनर्जी थे। 
  7. 11 अप्रैल 1936 को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन लखनऊ में हुआ। 
  8. उड़ीसा में 1914 में खोंड विद्रोह हुआ।  

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 

1. खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ?

उत्तर:- ऑटोमन साम्राज्य को तुर्की से अलग होने तथा खलीफा को उसके अधिकारों से मुक्त करने के कारण खिलाफत आंदोलन हुआ। 

2. रॉलेक्ट एक्ट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- अंग्रेजों द्वारा 1919 में पारित किया गया ऐसा कानून जिसमें किसी भी व्यक्ति को अमान्य साक्ष्य और बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता था।

3. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?

उत्तर:- समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन करना। 

4. गांधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?

उत्तर:- सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया जो महात्मा गांधी और लॉर्ड इरविन के बीच हुआ। इसे ही गांधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता कहा जाता है। 

5. चंपारण सत्याग्रह का संक्षिप्त विवरण।

उत्तर:- बिहार के चंपारण में नील की खेती करनेवाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ गांधीजी ने सत्य और अहिंसापूर्ण तरीके से जो आंदोलन चलाया उसे चंपारण सत्याग्रह कहा जाता है। 

6. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर:- मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बना लिया तथा मेरठ लाया गया और उनपर मुकदमा चलाया गया जिसे मेरठ षड्यंत्र कहते हैं। 

7. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते है, संक्षेप में लिखे। 

उत्तर:- छोटानागपुर के उरावो में 1914 - 1920 तक विद्रोह चला। इसके नेता जतरा भगत थे। उन्होंने आंदोलन में सामाजिक और शैक्षणिक सुधार पर बल दिया। 

8. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई?

उत्तर:- 31 अक्टूबर 1920 को कांग्रेस पार्टी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना लीग ऑफ इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया। 

सुमेलित करे

1. गांधीवादी चरण — 1919-47

2.चौरा - चौरी हत्याकांड — 5 फरवरी 1922

3. कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष — 1915

4. बंगाल विभाजन वापस — 1911

5. हिंदू महासभा — मदन मोहन मालवीय 

6. मोपला विद्रोह — केरल


लघु उत्तरीय प्रश्न

1. असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे?

उत्तर:- असहयोग आंदोलन के मुख्य तीन कारण थे - 

  1. खिलाफत का मुद्दा
  2. पंजाब में सरकार के बर्बर कारवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना। 
  3. स्वराज की प्राप्ति करना। 
इसमें देश की सभी प्रतिनिधियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इसलिए यह प्रथम जन आंदोलन बना। 

2. सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम क्या हुए?

उत्तर:- सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम निम्न है - 

  1. सामाजिक आधार का विस्तार 
  2. समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण 
  3. महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश
  4. ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई का भारत सरकार अधिनियम पारित किया जाना।
  5. ब्रिटिश सरकार का कांग्रेस से समानता स्तर पर बातचीत। 

3. भारतीय राष्टीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई?

उत्तर:- भारतीय राष्टीय कांग्रेस की स्थापना 19वी शताब्दी के अंतिम चरण में हुई थी।  इस समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था। साथ ही लॉर्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीयों द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था। लॉर्ड रिपन के काल में पास हुए इलबर्ट बिल का यूरोपियों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का प्रयाप्त कारण दे दिया। इन परिस्थितियों में कांग्रेस की स्थापना हुई। 

4. बिहार के किसान आंदोलन पर टिप्पणी लिखे।

उत्तर:- बिहार में नील उत्पादन में अंग्रेजों द्वारा तिनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी। किसान नील की खेती करना नहीं चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती हैं। 

1916 ई में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चंपारण के एक किसान राजकुमार शुक्ल ने इस समस्या को आगे की ओर आकृष्ट कराया और गांधीजी से चंपारण आने का अनुरोध किया।गांधीजी के चंपारण आने पर सरकार ने उन्हें चंपारण छोड़ने का आदेश दिया। गांधीजी के दबाव मे तथा कमिटी की सिफारिश पर तिनकठिया व्यवस्था समाप्त कर दी गई। 

5. स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करे। 

उत्तर:- असहयोग आंदोलन के एकाएक वापसी से उत्पन्न निराशा से मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास ने कांग्रेस के पद त्याग दिए और स्वराज पार्टी की स्थापना की। और इसका प्रथम सम्मेलन मार्च 1923 में इलाहाबाद में हुआ। 

ये पार्टी 1919 के अधिनियम का सुधार करना या उसका अंत करना चाहती थी। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंतर्संबंधों की विवेचना करे। 

उत्तर:- ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण उपनिवेश था। इसलिए युद्ध आरम्भ होते ही ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य एक जिम्मेदार सरकार की स्थापना करना है। अतः 1916 में सरकार ने भारत में आयत शुल्क लगाया ताकि भारत में कपड़ा उद्योग का विकास हो सके और उसका फायदा अंग्रेजों को मील सके। 

                       रक्षा व्यय ने इजाफा हुआ जिससे महंगाई बढ़ गई। 1915-17 के बीच एनी बेसेंट और तिलक ने आयरलैंड से प्रेरित होकर भारत में होमरूल आंदोलन की शुरुआत आरम्भ किया।कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच साझा राजनीतिक आंदोलन चलने को लेकर समझौता हुआ। 

2. असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिमाण का वर्णन करें। 

उत्तर:- असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में किया गया प्रथम जन आंदोलन था। इसके मुख्य तीन कारण थे - 

  1. खिलाफत का मुद्दा
  2. पंजाब में सरकार के बर्बर कारवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना। 
  3. स्वराज की प्राप्ति करना। 

इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रम अपनाए गए। 

  1. अंग्रेजी सरकार को कमजोर एवं नैतिक रूप से पराजित करना। 
  2. स्वदेशी को अपनाना। 

महात्मा गांधी के नेतृत्व में जनवरी 1921 ई में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई। संपूर्ण भारत में आंदोलन को सफलता मिली। प्रिंस ऑफ वेल्स का स्वागत 17 नवंबर 1921 को मुंबई में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के साथ किया गया। सरकार ने आंदोलन को गैर कानूनी करार देते हुए 30000 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में राजनीतिक जुलूस पर पुलिस ने फायरिंग की जिसके विरोध में भीड़ ने थाना पर हमला करके 5 फरवरी 1922 ई को 22 पुलिसकर्मी की जान ले ली। 

 जिसके परिणामस्वरूप 12 फरवरी 1922 को गांधी जी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया, और ब्रिटिश सरकार ने गांधीजी को मार्च 1922 में गिरफ्तार करने 6 वर्षो की कारावास की सजा सुनाई। 

इस प्रकार इस आंदोलन का गला घोट दिया गया।

3. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों की विवेचना करे। 

उत्तर:- सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण निम्नलिखित हैं -

 साइमन कमीशन :- 1919 के एक्ट को पारित करते समय ब्रिटिश सरकार ने यह घोषणा की थी की 10 वर्षों के पश्चात पुनः इन सुधारों की समीक्षा होगी। परंतु 1927 में ही सरकार ने 7 सदस्यीय आयोग बना दिया जिसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। 3 फरवरी 1928 को बंबई पहुंचने पर साइमन कमीशन का स्वागत काले झंडे, हड़ताल और प्रदर्शन से हुआ और प्रदर्शनकारियो ने साइमन वापस है के नारे भी लगाए। 


नेहरू रिपोर्ट :- साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय तात्कालिक भारत सचिव लॉर्ड बीरकनहैड ने भारतीयों को एक ऐसे संविधान के निर्माण की चुनौती दी थी।इस चुनौती का जबाव देने के लिए कांग्रेस ने एक सम्मेलन आयोजित किया जिसके अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू थे। 


विश्वव्यापी आर्थिक मंडी का प्रभाव :- 1929-30 की आर्थिक मंडी का भरता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। 

समाजवाद का बढ़ता प्रभाव:- इस समय मार्क्सवाद और समाजवाद के विचार तेजी से फैल रहे थे। 

एससीडी क्रांतिकारी आंदोलन का उभार:- अप्रैल 1930 में चटगांव में सरकारी शस्त्रागार पर छापा मारा , जिसका नेतृत्व सूर्यसेन कर रहे थे। 

पूर्ण स्वराज कीप मांग:- 31 दिसंबर 1929 की मध्य रात्रि को रवि नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया। और पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा। 

गांधी का समझौतावादी रुख:- गांधीजी ने लॉर्ड इरविन के साथ 11 सूत्री मांग को रखा लेकिन मांग पूरा हुए बिना गांधीजी ने आंदोलन समाप्त कर दिया। 

दांडी यात्रा(12 मार्च से 6 अप्रैल 1930)

गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत दांडी यात्रा से की। 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ दांडी समुद्र तट तक की यात्रा 24 दिनों में (250 k.m) तय कर 5 अप्रैल को दांडी पहुंचे और 6 अप्रैल को नमक बनकर नमक कानून का उल्लंघन किया। 

बिहार में आंदोलन का प्रसार

सिवान जिले में चौकीदारी कर विरोध में आंदोलन गंगा प्रसाद राय के नेतृत्व में शुरू हुआ।छपरा जेल के कैदियों ने विदेशी वस्त्र पहनने से इनकार कर दिया। गया में चंद्रावती देवी ने चौकीदार कर के विरोध में आंदोलन चलाया। 

गांधी-इरविन पैक्ट 

सविनय अवज्ञा आंदोलन के समझौता के लिए सरकार को गांधीजी से वार्ता करनी पड़ी। जिसे गांधी-इरविन पैक्ट और दिल्ली समझौता भी कहा जाता है। यह 5 मार्च 1931 ई को संपन्न हुआ।

4.भारत में मजदूर आंदोलन के विकास का वर्णन करें। 

उत्तर:- 1917 ई में अहमदाबाद में प्लेग की महामारी के कारण मजदूरों को शहर छोड़कर जाने से रोकने के लिए मिल मालिकों उनके वेतन में वृद्धि कर दी और महामारी खत्म होने पर समाप्त कर दिया। इससे मजदूर असंतुष्ट थे। और गांधीजी ने मजदूरी की मांग का समर्थन किया। 31 अक्टूबर 1920 को कांग्रेस पार्टी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना की। 

5. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी के योगदान की विवेचना करें। 

उत्तर:- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की चर्चा गांधीजी के बिना करना बेईमानी होगी। क्योंकि जनवरी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधीजी ने रचनात्मक कार्यों के लिए अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। चंपारण एवं खेड़ा में कृषक आंदोलन और अहमदाबाद में श्रमिक आंदोलन को नेतृत्व प्रदान कर अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई। नवंबर 1919 में महात्मा गांधी अखिल भारतीय खिलाफत आंदोलन के अध्यक्ष बने। सितंबर 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया जो प्रथम जन आंदोलन था। और उसके बाद ब्रिटिश औपनिवेश के खिलाफ गांधीजी के नेतृत्व में 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। यह दूसरा जन आंदोलन बना। और इसकी शुरुआत गांधीजी ने दांडी यात्रा से 12 मार्च 1930 को की और दांडी में समुद्र के पानी से नमक बनकर नमक कानून का उल्लंघन किया। 

6. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें। 

उत्तर:- 20वी शताब्दी के प्रारंभिक काल में ही भारत में साम्यवादी विचारधारा शुरू हो गई थी। रूसी क्रांति के बाद 1920 में M.N. राय ने ताशकंद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। बाद में ये लोग आतंकवादी राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़ने लगे। इसलिए असहयोग आंदोलन के समाप्ति के बाद सरकार ने इनका दमन शुरू कर दिया। पेशावर षडयंत्र केस (1922- 23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924), मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) के तहत 8 लोगों पर मुकदमा चलाए गए। और इन्हें साम्यवादी शहीद कहा जाने लगा।

By:- Shashank Kumar Prajapati 


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