Class 10th History chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद

नेपोलियन के पतन के बाद यूरोप की विजय शक्तियां ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में 1815 में एकत्र हुई। जिसका उद्देश्य पुनः उसी व्यवस्था को लाना था जिसे नेपोलियन ने अस्त व्यस्त कर दिया था। 

1815 ई• में बिना सम्मेलन की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया के चांसलर मेटरनिख ने किया था , जिसका उद्देश्य से यूरोप में शांति संतुलन स्थापित करना था। 

 वियना सम्मेलन के माध्यम से यूरोप में नेपोलियन युग का अंत और मेटरनिख युग की शुरुआत हुई। 

मेटरनिख ने इटली राज्य को विभाजित कर दिया,और सिसली और नेपल्स के प्रदेश को बूर्बोवंश के सम्राट फर्डिनेंड  को सौंप दिया,रोम का राज्य पॉप को सौंप दिया। लोम्बार्डी एवं  वेनेशिया पर ऑस्ट्रिया का प्रभुत्व कायम हो गया।

जर्मनी में 39 रियासतों का संघ कायम रहा जिस पर अप्रत्यक्ष रूप से ऑस्ट्रिया का अधिकार हो गया।  


फ्रांस में बूर्बो राजवंश को पुनः स्थापित किया गया और लुई 18वाँ राजा बना। लुई 18वाँ ने प्रतिक्रियावादी तथा सुधारवादी शक्तियों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया। और 2 जून 1814 ई को संवैधानिक घोषणा पत्र जारी किया गया, जो 1848 ई तक फ्रांस में चलते रहा।



जुलाई 1830 की क्रांति

सम्राट चार्ल्स दशम ने पोलिगनेक को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया। 

पोलिगनेक समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना की जिसके कारण उदारवादीयों ने पोलिगनेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया। चार्ल्स दशम ने इस विरोध के प्रतिक्रिया स्वरुप 25 जुलाई 1830 ई  को चार अध्यादेश द्वारा उदार तत्वों का गला घोटने का प्रयास किया जिसके कारण फ्रांस में 28 जून 1830 ई को गृहयुद्ध आरम्भ हो गया। जिसे 1830 की क्रांति कहते हैं। 

जुलाई 1830 की क्रांति के परिणामस्वरूप  चार्ल्स दशम फ्रांस की राजगद्दी त्याग कर इंग्लैंड चला गया और इस प्रकार फ्रांस में बुर्वो वंश का शासन का अंत हो गया।

बुर्वो वंश के स्थान पर आलेयेंस वंश का शासन आरम्भ हुआ। 


1848 की क्रांति

लुई फिलिप एक उदारवादी शासक था,और 1840 ई में गीजो को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। 

लुई फिलिप के शासन काल में भुखमरी और बेरोजगारी व्याप्त हो गई, और गीजो की आलोचना होने लगी। 

सुधारवादियों ने 22 फरवरी 1848 ई को पेरिस में थियर्स के नेतृत्व में एक विशाल भोज का आयोजन किया। जिसके परिणामस्वरूप लुई फिलिप 24 फरवरी को गद्दी त्याग कर इंग्लैंड चला गया। 

लुई नेपोलियन फ्रांस का सम्राट बना। 


इटली का एकीकरण

इटली 19वी शताब्दी के आरम्भ में कई स्वतंत्र राज्यों में बता हुआ था।इटली की राजधानी रोम पोप के प्रभाव में थी।

इटली में 1820 ई में एक गुप्त दल कार्बोनरी का गठन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य छापामार युद्ध करना था, जिसके नेता जोसेफ मेजिनी थे। 1830 में नागरिक आंदोलन की शुरुआत हो गई, जिसे ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने दबा दिया और मेजिनी को इटली से पलायन करना पड़ा। 

मेजिनी

मेजिनी साहित्यकार,गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। मेजिनी ने 1831 ई में यंग इटली तथा 1834 में यंग यूरोप नमक संस्था की स्थापना की। 

मेजिनी संपूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे गणराज्य बनाना चाहता था, जबकि सार्डिनिया पिडमाउंट का शासक चार्ल्स एलबर्ट सभी प्रांतों का विलय चाहता था। ऑस्ट्रिया द्वारा इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किया गया जिसमें सार्डिनिया के शासक चार्ल्स एलबर्ट की पराजय हो गई और मेजिनी की पुनः पराजय हुई।  

इटली के एकीकरण का द्वितीय चरण

1848 के एकीकरण के असफल होने के बाद पुनः धीरे धीरे जन जागरूकता बढ़ी। और सार्डिनिया पिडमाउंट का नया शासक विक्टर इमैनुएल बना और अपना प्रधानमंत्री काउंट काबूर को नियुक्त किया।

 

काउंट काबूर 

काउंट काबूर एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था और इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रिया को मानता था। 

1853-54 के क्रीमिया युद्ध में काबूर ने फ्रांस की ओर से युद्ध में सम्मिलित होने की घोषणा कर दी जिसका प्रत्यक्ष लाभ काबूर को प्राप्त हुआ। और पेरिस शांति सम्मेलन में काबूर ने इटली में ऑस्ट्रिया के हस्तक्षेप को गैर कानूनी घोषित किया। 

काबूर ने नेपोलियन तृतीय कर फ्रांस को अपने तरफ कर लिया और बदले में फ्रांस को दो राज्य दिए। 1859-60 में ऑस्ट्रिया और पिडमाउंट में युद्ध आरम्भ हो गया और पिडमाउंट ने ऑस्ट्रिया के एक राज्य पर कब्जा कर लिया। 

1860-61 में काबूर ने रोम को छोड़कर उतर तथा मध्य इटली के सभी प्रांतों को मिलाकर एक कर लिया। 

और इस प्रकार 1962 तक रोम और वेनेशिया को छोड़कर बाकी रियासतों का विलय रोम में हो गया और विक्टर इमैनुएल को शासक मन गया। 

गैरीबाल्डी 

इसी बीच गैरीबाल्डी सशस्त्र क्रांति के द्वारा इटली के एकीकरण का प्रयास कर रहा था। गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थक था परंतु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया। 

गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों और स्वयं सेवक को मिलाकर एक सेना बनाई। और इटली के प्रांत सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया और वहां की जनता ने गैरीबाल्डी का साथ दिया। 

1862 ई में काबूर की मृत्यु  हो गयी। 1870-71 में  फ्रांस और प्रशा के बीच युद्ध शुरू हो गया। इस परिस्थिति का लाभ उठाकर विक्टर इमैनुएल ने पोप के राजमहल को छोड़कर बाकी रोम को इटली में मिला दिया। और रोम को अपनी राजधानी घोषित किया।  

परंतु पोप ने इसे स्वीकार नहीं किया और अंततः मुसोलिनी ने पोप के साथ समझौता कर वेटिकन सिटी को देश का मान्यता दिया। 

इस प्रकार 1871 में इटली का एकीकरण पूर्ण हुआ। 


जर्मनी का एकीकरण

इटली के एकीकरण के दौरान जर्मनी के क्षेत्र में भी समान प्रक्रिया चल रही थी। 

जर्मनी मध्यकाल में शार्लमा के नेतृत्व में संगठित होकर लंबे समय तक सुदृढ़ रहा। परंतु आधुनिक युग में 300 राज्यों में खंडित हो गया। जर्मनी में सबसे शक्तिशाली राज्य प्रशा था। 

1806 में नेपोलियन बोनापार्ट ने जर्मन प्रदेश को जीतकर जर्मन राइन संघ का निर्माण किया,और राष्ट्रवाद की भावना का विकास हुआ। 

जर्मनी में राष्ट्रीय आंदोलन के लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों ने ब्रूशेन शैफ्ट  नामक सभा स्थापित की जिसका उद्देश्य जर्मनी का एकीकरण करना था। 

1834 ई में जर्मन व्यापारियों ने जालवेरीन  नामक संघ का गठन किया। 

मार्च 1848 में पुराने संसद की सभा को बुलाया गया जिसमें यह निर्णय लिया गया कि फ्रेडरिक विलियम जर्मन राष्ट्र का नेतृत्व करेगा। 

फ्रेडरिक के देहांत के बाद उसका भाई विलियम प्रशा का शासक बना। विलियम ने एकीकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया। 


बिस्मार्क 

बिस्मार्क जर्मन डायट में प्रशा का प्रतिनिधि था और हेगेल के विचार से प्रभावित था। 

बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए रक्त और लौह की नीति का अवलंबन किया। 

1864 में बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर डेनमार्क पर आक्रमण कर शेल्सविग और हॉलस्टीन राज्यों को जीत लिया। 

ऑस्ट्रिया ने 1866 ई में प्रशा के सेडोवा के युद्ध की घोषणा की और इस युद्ध में ऑस्ट्रिया पराजित हो गया और इस प्रकार जर्मनी के एकीकरण का दो-तिहाई कार्य पूरा हो गया। 

शेष जर्मनी के एकीकरण के लिए फ्रांस के साथ युद्ध करना आवश्यक था। 19 जून 1870 को फ्रांस के शासक नेपोलियन ने प्रशा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी जिसे सेडान का युद्ध कहा गया। इस  युद्ध में फ्रांस की हार हुई। 

इस प्रकार 10 मई 1870 को फ्रैंकफर्ट की संधि द्वारा दोनों राष्ट्रों के बीच शांति स्थपित हुई। और जर्मनी का एक महाशक्ति के रूप हुआ। 



यूनान में राष्ट्रीयता का उदय

यूनान का अपना गौरवमय अतीत रहा है। यूनानी सभ्यता की साहित्यिक प्रगति, विचार, दर्शन, कला, चिकित्सा विज्ञान, के क्षेत्र में उपलब्धियां यूनानियों के लिए प्रेरणाश्रोत थे। और तुर्की शासन से स्वयं को अलग करने के लिए आंदोलन चलाए जाने लगे। 

यूनानियों ने हितेरिया फ़िलाइक नामक संस्था की स्थापना ओडेसा नामक स्थान पर की। जिसका उद्देश्य यूनान को स्वतंत्र करना था। महान कवि लॉर्ड बायरन यूनानियों की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गया। जिससे स्वतंत्रता की लहर और तेज हो गई। 

1821 ई में अलेक्जेंडर चिपासीलांटी के नेतृत्व में यूनान में विद्रोह शुरू हो गया। 1826 ई में ग्रेट ब्रिटेन और रूस के बीच समझौता हुआ कि वे तुर्की-यूनान विवाद में मध्यस्था करेंगे। 

1827 ई में लन्दन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंग्लैंड, फ्रांस तथा रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ यूनान का समर्थन किया। और तीनों सेना तुर्की के खिलाफ एकत्र हुई किंतु तुर्की का समर्थन सिर्फ मिस्र ने किया। 1829 में एड्रियानोपल की संधि हुई और 1932 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया और बवेरिया के शासक ओटो को यूनान का राजा घोषित किया गया। 



हंगरी

1848 की क्रांति के प्रभाव के कारण कोसूथ तथा फ्रांसिस डिक नामक क्रांतिकारी ने आंदोलन की शुरुआत की।  31 मार्च 1848 को ऑस्ट्रिया की सरकार ने हंगरी की बाते मान ली। 




पोलैंड

1830 ई में क्रांति की शुरुआत हुई किंतु रूस ने इसके विद्रोह को कुचल दिया। 


परिणाम

इस क्रांति के  परिणाम कालांतर में भारत में 1857 की क्रांति से राष्ट्रीयता के तत्व नजर आने लगे। 


वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. इटली एवं जर्मनी वर्तमान में किस महादेश के अंतर्गत आते है?

उत्तर - यूरोप

2. फ्रांस में किस शासक वंश की पुनःस्थापना वियना कांग्रेस द्वारा की गई थी?

उत्तर - बुर्बों वंश

3. मेजिनी का संबंध किस संगठन से था?

उत्तर - कार्बोनरी

4. इटली एवं जर्मनी के एकीकरण के विरुद्ध कौन था?

उत्तर - ऑस्ट्रिया

5. काउंट काबूर को विक्टर इमैनुएल ने किस पद पर नियुक्त किया?

उत्तर - प्रधानमंत्री 

6. गैरीबाल्डी पेशे से क्या था?

उत्तर - नाविक

7. जर्मन राइन राज्यबक निर्माण किसने किया था?

उत्तर - नेपोलियन बोनापार्ट 

8. जालवेरिन एक संस्था थी?

उत्तर - व्यापारियों की

9. रक्त एवं लौह की नीति का अवलंबन किसने किया था?

उत्तर - बिस्मार्क 

10. फ्रैंकफर्ट की संधि कब हुई?

उत्तर - 1871

11. यूरोपवासियों के लिए किस देश का साहित्य एवं ज्ञान-विज्ञान  प्रेरणाश्रोत रहा?

उत्तर - यूनान

12. 1829 ई की एड्रियानोपोल की संधि किस देश के साथ हुई?

उत्तर - तुर्की


निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरे:

1. सेडान के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी यूरोपीय महाशक्ति जर्मनी का जन्म हुआ। 

2. सेडोवा का युद्ध प्रशा और ऑस्ट्रिया के बीच हुआ था। 

3.1848 ई की फ्रांसीसी क्रांति ने मेटरनिख युग का  भी अंत कर दिया। 

4. वेटिकन सिटी के राजमहल, जहां पोप रहते थे जो इटली के प्रभाव  से बचा रहा। 

5. यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद बवेरिया के शासक  ओटो को वह का राजा घोषित किया गया। 

6. हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट है। 


निम्नलिखित समूहों का मिलान करें -












अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. राष्ट्रवाद क्या है?

उत्तर - राष्ट्रवाद आधुनिक विश्व की राजनीतिक जागृति का फल है, जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है। 

2. मेजिनी कौन था?

उत्तर -  मेजिनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। 

3.जर्मनी के एकीकरण की बाधाएं क्या थीं?

उत्तर - जर्मनी के एकीकरण की बाधाएं ऑस्ट्रिया थी। 

4. मेटरनिख युग क्या है?

उत्तर - 1815 से 1848 तक के समय को मेटरनिख युग कहा जाता है। 


लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थे?

उत्तर - 1848 की क्रांति का मुख्य कारण देश में  बढ़ रही महंगाई ,भुखमरी और बढ़ती बेरोजगारी थी। 

2. इटली जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की क्या भूमिका थी?

उत्तर - इटली तथा जर्मनी का एकीकरण ऑस्ट्रिया के शर्त पर हुआ क्योंकि इटली एवं जर्मनी के प्रांतों पर ऑस्ट्रिया का आधिपत्य था। अतः ऑस्ट्रिया को इटली और जर्मनी से बाहर करके ही दोनों का एकीकरण संभव था। 

3. यूरोप में राष्ट्रवाद फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ? 

उत्तर - यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना के विकास में फ्रांस की क्रांति और नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। नेपोलियन ने ही सर्वप्रथम इटली तथा जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्थ किया था।  

4. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करे। 

उत्तर - गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थक था परंतु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया। गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों और स्वयं सेवक को मिलाकर एक सेना बनाई। और इटली के प्रांत सिसली और नेपल्स पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। और संपूर्ण जीते हुए क्षेत्र को विक्टर इमैनुएल को समर्पित कर दिया। 

5. विलियम प्रथम के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था – कैसे?

उत्तर विलियम प्रथम राष्ट्रवादी विचारों का पोषक था। उसके सुधारो के कारण जर्मनी में औद्योगिक क्रांति के साथ साथ आधारभूत संरचनाओ  में काफी सुधार हुआ, और विलियम प्रथम ने एकीकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ही बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया था। 



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. इटली के एकीकरण में मेजिनी काबूर और गैरीबाल्डी के योगदान को बतावे। 

उत्तर - इटली के एकीकरण में मेजिनी काबूर और गैरीबाल्डी का योगदान निम्नलिखित है —

मेजिनी – मेजिनी साहित्यकार,गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। मेजिनी ने 1831 ई में यंग इटली तथा 1834 में यंग यूरोप नमक संस्था की स्थापना की। मेजिनी संपूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे गणराज्य बनाना चाहता था, जबकि सार्डिनिया पिडमाउंट का शासक चार्ल्स एलबर्ट सभी प्रांतों का विलय चाहता था। ऑस्ट्रिया द्वारा इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किया गया जिसमें सार्डिनिया के शासक चार्ल्स एलबर्ट की पराजय हो गई और मेजिनी की पुनः पराजय हुई।

काबूर – काउंट काबूर एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था और इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रिया को मानता था। 1853-54 के क्रीमिया युद्ध में काबूर ने फ्रांस की ओर से युद्ध में सम्मिलित होने की घोषणा कर दी जिसका प्रत्यक्ष लाभ काबूर को प्राप्त हुआ। और पेरिस शांति सम्मेलन में काबूर ने इटली में ऑस्ट्रिया के हस्तक्षेप को गैर कानूनी घोषित किया। काबूर ने नेपोलियन तृतीय कर फ्रांस को अपने तरफ कर लिया और बदले में फ्रांस को दो राज्य दिए। 1859-60 में ऑस्ट्रिया और पिडमाउंट में युद्ध आरम्भ हो गया और पिडमाउंट ने ऑस्ट्रिया के एक राज्य पर कब्जा कर लिया। 1860-61 में काबूर ने रोम को छोड़कर उतर तथा मध्य इटली के सभी प्रांतों को मिलाकर एक कर लिया। 

गैरीबाल्डी – गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थक था परंतु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया। गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों और स्वयं सेवक को मिलाकर एक सेना बनाई। और इटली के प्रांत सिसली और नेपल्स पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। और संपूर्ण जीते हुए क्षेत्र को विक्टर इमैनुएल को समर्पित कर दिया। 

2. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करे। 

उत्तर - बिस्मार्क जर्मन डायट में प्रशा का प्रतिनिधि था और हेगेल के विचार से प्रभावित था। बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए रक्त और लौह की नीति का अवलंबन किया। 1864 में बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर डेनमार्क पर आक्रमण कर शेल्सविग और हॉलस्टीन राज्यों को जीत लिया। ऑस्ट्रिया ने 1866 ई में प्रशा के सेडोवा के युद्ध की घोषणा की और इस युद्ध में ऑस्ट्रिया पराजित हो गया और इस प्रकार जर्मनी के एकीकरण का दो-तिहाई कार्य पूरा हो गया। शेष जर्मनी के एकीकरण के लिए फ्रांस के साथ युद्ध करना आवश्यक था। 19 जून 1870 को फ्रांस के शासक नेपोलियन ने प्रशा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी जिसे सेडान का युद्ध कहा गया। इस  युद्ध में फ्रांस की हार हुई। इस प्रकार 10 मई 1870 को फ्रैंकफर्ट की संधि द्वारा दोनों राष्ट्रों के बीच शांति स्थपित हुई। और जर्मनी का एक महाशक्ति के रूप हुआ। 

3. राष्ट्रवाद के उदय के कारण एवं प्रभाव की चर्चा करे। 

उत्तर - राष्ट्रवाद के उदय के कारण एवं प्रभाव निम्न हैं-

(i) यूरोप में पुनर्जागरण- पुनर्जागरण के कारण कला, साहित्य, विज्ञान इत्यादि पर गहरा प्रभाव पड़ा और लोगों के दृष्टि कोण में परिवर्तन हुए जिसने राष्ट्रवाद का बीजारोपण किया।

(ii) फ्रांस की राज्य क्रांति- इसने राजनीतिक को अभिजात्यवर्गीय परिवेश से बाहर कर उसे अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया।

(iii) नेपोलियन का आक्रमण- नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसको वास्तविक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की। जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा।

4. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दे। 

उत्तर -  सम्राट चार्ल्स दशम ने पोलिगनेक को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया। पोलिगनेक समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना की जिसके कारण उदारवादीयों ने पोलिगनेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया। चार्ल्स दशम ने इस विरोध के प्रतिक्रिया स्वरुप 25 जुलाई 1830 ई को चार अध्यादेश द्वारा उदार तत्वों का गला घोटने का प्रयास किया जिसके कारण फ्रांस में 28 जून 1830 ई को गृहयुद्ध आरम्भ हो गया। जिसे 1830 की क्रांति कहते हैं।

5.यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दे। 

उत्तर- यूनान का अपना गौरवमय अतीत रहा है। यूनानी सभ्यता की साहित्यिक प्रगति, विचार, दर्शन, कला, चिकित्सा विज्ञान, के क्षेत्र में उपलब्धियां यूनानियों के लिए प्रेरणाश्रोत थे। और तुर्की शासन से स्वयं को अलग करने के लिए आंदोलन चलाए जाने लगे। यूनानियों ने हितेरिया फ़िलाइक नामक संस्था की स्थापना ओडेसा नामक स्थान पर की। जिसका उद्देश्य यूनान को स्वतंत्र करना था। महान कवि लॉर्ड बायरन यूनानियों की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गया। जिससे स्वतंत्रता की लहर और तेज हो गई। 1821 ई में अलेक्जेंडर चिपासीलांटी के नेतृत्व में यूनान में विद्रोह शुरू हो गया। 1826 ई में ग्रेट ब्रिटेन और रूस के बीच समझौता हुआ कि वे तुर्की-यूनान विवाद में मध्यस्था करेंगे। 1827 ई में लन्दन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंग्लैंड, फ्रांस तथा रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ यूनान का समर्थन किया। और तीनों सेना तुर्की के खिलाफ एकत्र हुई किंतु तुर्की का समर्थन सिर्फ मिस्र ने किया। 1829 में एड्रियानोपल की संधि हुई और 1932 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया और बवेरिया के शासक ओटो को यूनान का राजा घोषित किया गया। 


By:- Shashank Kumar Prajapati 

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