Class 10th Economics ch-1 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास

 अंग्रेजी शासन व्यवस्था ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अपना उपनिवेश बनाकर रखा। और इसे उपनिवेश बनाए रखने के लिए फुट डालो और शासन करो कि नीति को अपनाया। 

उपनिवेश :- जब कोई भी देश किसी बड़े समृद्धशाली राष्ट्र के शासन के अंतर्गत रहता है और उसके समस्त आर्थिक एवं व्यवसायिक कार्यों का निर्देशन एवं नियंत्रण शासक देश का होता है तो ऐसे शासित देश को शासक देश का उपनिवेश कहा जाता है। 

अर्थव्यवस्था का अर्थ:- 

  • वे सभी क्रियाएं जिनसे हमे आय प्राप्त होती हैं, आर्थिक क्रियाएं कहलाती हैं। 
  • अर्थव्यवस्था के दो प्रमुख कार्य संपादित करती है - 
  1. लोगों की आवश्यकता की संतुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है। 
  2. लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है। 
  • आर्थर लेविस के अनुसार :- किसी राष्ट्र के संपूर्ण व्यवहार से होता है जिसके आधार पर मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वह अपने संसाधनों का प्रयोग करता है इसे ही अर्थव्यवस्था कहते हैं। 
  • ब्राउन के अनुसार :- अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की एक प्रणाली है। या,
  • अर्थव्यवस्था आर्थिक क्रियाओं का ऐसा संगठन है जिसके अंतर्गत लोग कार्य करके अपनी आजीविका चलाते हैं। 
अर्थव्यवस्था की संरचना या ढांचा 
इन क्रियाओं को तीन भागों में बांटा गया है - 
  1. प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
  2. द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)
  3. तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector)
  1. प्राथमिक क्षेत्र:- प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत कृषि, पशुपालन,मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते हैं। 
  2. द्वितीयक क्षेत्र:- द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत खनिज व्यवसाय, निर्माण कार्य, जनउपयोगी सेवाएं आदि आते हैं। 
  3. तृतीयक क्षेत्र:- तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। 
अर्थव्यवस्था के प्रकार 

विश्व में तीन प्रकार की अर्थव्यवस्था पाई जाती है। 
  1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था:- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों के पास होता है। उसे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं।                        जैसे - अमेरिका
  2. समाजवादी अर्थव्यवस्था:- सामाजिक अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व एवं संचालन देश के सरकार के पास होता है। जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण के लिए होता है। उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं। जैसे - चीन
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था:- मिश्रित अर्थव्यवस्था वह है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा निजी व्यक्ति दोनों के पास होता है।                                                                         जैसे - भारत
अर्थव्यवस्था का विकास
अर्थव्यवस्था के विकास के लिए हम दो स्थितियों की विवेचना करेंगे। 
  1. आर्थिक विकास 
  2. मौद्रिक विकास
आर्थिक विकास :- 
  • प्रो• रोस्तोव के अनुसार आर्थिक विकास एक ओर श्रम शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का संबंध है। 
  • प्रो• मेयर और बाल्डविन के अनुसार आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। 
  • आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के समस्त क्षेत्रों में उत्पादकता का ऊंचा स्तर प्राप्त करना होता है। 
  • उर्सला हिक्स के अनुसार वृद्धि शब्द का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकसित देशों के लिए किया जाता है जबकि विकास शब्द का प्रयोग विकासशील अर्थव्यवस्था के संबंध में किया जा सकता है। 
  • मैडडिसन नामक अर्थशास्त्री के अनुसार धनी देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर आर्थिक वृद्धि का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर आर्थिक विकास का सूचक होता है। 
आर्थिक नियोजन:- आर्थिक नियोजन का अर्थ एक समयबद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व निर्धारित सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों का नियोजित समन्वय एवं उपयोग करना हैं। 
भारत में योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को किया गया।   योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। 

आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है। 

समावेशी विकास 
आर्थिक विकास के जिस प्रक्रिया से समाज के सभी वर्गों का जीवन स्तर ऊंचा होता जाए तथा समाज का कोई भी वर्ग विकास के लाभ से अछूता नही रहे तो ऐसे विकास को समावेशी विकास कहा जाता है। 

सतत् विकास 
ऐसा विकास जो जारी रह सके, टिकाऊ बना रह सके। तथा जो विकास न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी के विकास को ध्यान में रखकर किया जाए तो उस विकास को सतत् विकास कहते हैं। 

राष्ट्रीय विकास परिषद
भारत में राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन 6 अगस्त 1952 को किया गया था। इसका गठन आर्थिक नियोजन हेतु राज्य सरकारों तथा योजना आयोग के बीच तालमेल तथा सहयोग का वातावरण बनाने के लिए किया गया था। 

मौद्रिक विकास :- 
  1. वस्तु विनिमय प्रणाली - वस्तुओं से लें देन। 
  2. मौद्रिक प्रणाली - मुद्रा से वस्तुओं एवं सेवाओं का विनिमय। 
  3. बैंकिंग प्रणाली बैंक के माध्यम से चेक के द्वारा विनिमय की क्रिया का संपादन। 
  4. कोर बैकिंग प्रणाली के अंतर्गत एक संकेत से एक व्यक्ति के खाते से दूर अवस्थित दूसरे व्यक्ति को उसी बैंक के माध्यम से पैसे का हस्तांतरण। 
  5. ATM प्रणाली - प्लास्टिक के एक छोटे से कार्ड पर अंकित सूक्ष्म संकेत के आधार पर कहीं भी तथा किसी समय निर्धारित बैंक के केंद्र से पैसे निकलने की सुविधा। 
  6. डेबिट कार्ड - बैंक द्वारा दिया गया प्लास्टिक का कार्ड जिसके द्वारा बैंक में अपनी जमा राशि के पैसे का उपयोग करना। 
  7. क्रेडिट कार्ड - बैंक द्वारा दिया गया प्लास्टिक का कार्ड जिसके आधार पर उसके धारक द्वारा पैसे और बस्ती

आर्थिक विकास की माप एवं सूचकांक
राष्ट्रीय आय:-  किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहते है। 

प्रतिव्यक्ति आय:- राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भगफल आता है, वह प्रतिव्यक्ति आय कहलाता है। 

मानव विकास सूचकांक:- मानव विकास सूचकांक विभिन्न देशों के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर तैयार करती है। 
मानव विकास सूचकांक के तीन सूचक है - 
  1. जीवन आशा
  2. शिक्षा प्राप्ति
  3. जीवन स्तर 
राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट
  • भारत की पहली मानव विकास रिपोर्ट अप्रैल 2002 में जारी की गई थी। 
  • योजना आयोग द्वारा तैयार इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 23 अप्रैल 2002 को दिल्ली में जारी किया था। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार केरल सबसे ऊपर था। जबकि BIMARU राज्य का रैंक सबसे नीचे था। 
  • BIMARU - बिहार, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान, तथा उत्तर प्रदेश। 
आधारिक संरचना:- वे सभी तत्व जैसे - बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार है उन्हें देश का आधारिक संरचना (आधारभूत ढांचा) कहा जाता है। 


बिहार के विकास की स्थिति
बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। लेकिन आज वही बिहार समस्याओं का शिकार है। 
बिहार साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है। 

बिहार के पिछड़ेपन का कारण
आर्थिक दृष्टिकोण से बिहार के पिछड़ेपन के कारण निम्न है - 
  1. तेजी से बढ़ती ही जनसंख्या
  2. आधारिक संरचना का आभाव
  3. कृषि पर निर्भरता
  4. बाढ़ तथा सुख से क्षति
  5. औद्योगिक पिछड़ापन
  6. गरीबी
  7. खराब विधि व्यवस्था
  8. कुशल प्रशासन का आभाव

बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय
बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय निम्न है- 
  1. जनसंख्या पर नियंत्रण
  2. कृषि का तेजी से विकास 
  3. बाढ़ पर नियंत्रण 
  4. आधारित संरचना का विकास 
  5. उद्योग का विकास 
  6. गरीबी दूर करना
  7. शांति व्यवस्था की स्थापना
  8. स्वच्छ तथा ईमानदार प्रशासन
  9. केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण
देश के आर्थिक विकास ने बिहार के विकास की भूमिका
भौगोलिक, क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टिकोण से बिहार का स्थान भारत में अलगाहटव रखता है। इसलिए कहा जाता है कि यदि भारत का विकास करना है तो बिहार का विकास करना आवश्यक है। 

  • कुंजनेथ ने अर्थशास्त्री ने कहा था कि गरीबी एक कैंसर की तरह है अगर किसी देश के एक भाग में भी गरीबी है तो यह पूरे विश्व की संपन्नता लिए घातक है। 
  • केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन ने बिहार का वर्तमान विकास दर 11.03% है। जो देश में गुजरात 11.5% के बाद दूसरा है। 
कृषि जनित उद्योग:- वैसा उद्योग जो कृषि उत्पादन पर आश्रित हो तथा जिसके उत्पादन में कृषि क्षेत्र से कच्चा माल आता है उसे कृषि जनित उद्योग कहते है। 

गरीबी रेखा:- भारत में गरीबी रेखा कैलोरी मापदंड पर आधारित है। 
ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिदिन निर्धारित किया गया है। यह एक काल्पनिक रेखा है। 
इस रेखा से नीचे के लोगों को गरीबी रेखा के नीचे Below The Poverty Line (BPL) कहा जाता है। 

नरेगा (NREGA) National Rular Employment Guarantee Act 

ग्रामीण रोजगार देने की यह एक राष्ट्रीय योजना है।  इसके अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को वर्ष में कम से कम 100 दिनों के लिए रोजगार देने की व्यवस्था है। इसके लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित है। 


वस्तुनिष्ठ प्रश्न 
1. निम्न को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है - 
उत्तर:- कृषि क्षेत्र
2. इनमें से कौन से देश में मिश्रित अर्थव्यवस्था है?
उत्तर:- भारत
3.योजना आयोग का गठन कब किया गया?
उत्तर:-15 मार्च 1950
4. जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश कहलाता है?
उत्तर:-विकसित 
5.इनमें से किसे पिछड़ा राज्य कहा जाता है?
उत्तर:- बिहार

रिक्त स्थानों की पूर्ति करे। 
  1. भारत अंग्रेजी शासन का एक उपनिवेश था।
  2. अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किया।
  3. अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की प्रणाली है।
  4. द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है। 
  5. आर्थिक विकास आवश्यक रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है।
  6. भारत में आर्थिक विकास का श्रेय नियोजन को दिया जा सकता है। 
  7. आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रतिव्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है।
  8. साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है।
  9. बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है। 
  10. बिहार के विकास में बाढ़ एक बहुत बड़ा बाधक है। 
लघु उत्तरीय प्रश्न 
1. अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:- अर्थव्यवस्था आर्थिक क्रियाओं का ऐसा संगठन है जिसके अंतर्गत लोग कार्य करके अपनी आजीविका चलाते हैं।

2. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर:- मिश्रित अर्थव्यवस्था वह है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा निजी व्यक्ति दोनों के पास होता है।     

3. सतत् विकास क्या है ?
उत्तर :- ऐसा विकास जो जारी रह सके, टिकाऊ बना रह सके। तथा जो विकास न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी के विकास को ध्यान में रखकर किया जाए तो उस विकास को सतत् विकास कहते हैं।  

4. आर्थिक नियोजन क्या है?
उत्तर:-राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना। आर्थिक नियोजन कहा जाता है। 

5. मानव विकास रिपोर्ट क्या है?
उत्तर:- मानव विकास सूचकांक विभिन्न देशों के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर तैयार करती है।  
6. आधारिक संरचना पर प्रकाश डाले। 
उत्तर:-  वे सभी तत्व जैसे - बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार है उन्हें देश का आधारिक संरचना (आधारभूत ढांचा) कहा जाता है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 
1. अर्थव्यवस्था की संरचना  से क्या समझते है? इन्हें कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर:-  अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों से है।
 अर्थव्यवस्था की संरचना को तीन भागों में बांटा गया है। 
  1. प्राथमिक क्षेत्र:- प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत कृषि, पशुपालन,मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते हैं। 
  2. द्वितीयक क्षेत्र:- द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत खनिज व्यवसाय, निर्माण कार्य, जनउपयोगी सेवाएं आदि आते हैं। 
  3. तृतीयक क्षेत्र:- तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। 

2. आर्थिक विकास क्या है? आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बतावें। 
उत्तर:- आर्थिक विकास एक ओर श्रम शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का संबंध है।   
                                   धनी देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर आर्थिक वृद्धि का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर आर्थिक विकास का सूचक होता है।

3. आर्थिक विकास की माप कुछ सूचकांकों के द्वारा करे। 
उत्तर:- राष्ट्रीय आय:- किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहते है। 
प्रतिव्यक्ति आय:- राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भगफल आता है, वह प्रतिव्यक्ति आय कहलाता है। 

4. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण है? बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कुछ मुख्य उपाय बतावें। 
उत्तर:-आर्थिक दृष्टिकोण से बिहार के पिछड़ेपन के कारण निम्न है - 
  1. तेजी से बढ़ती ही जनसंख्या
  2. आधारिक संरचना का आभाव
  3. कृषि पर निर्भरता
  4. बाढ़ तथा सुख से क्षति
  5. औद्योगिक पिछड़ापन
  6. गरीबी
  7. खराब विधि व्यवस्था
  8. कुशल प्रशासन का आभाव
बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय निम्न है- 
  1. जनसंख्या पर नियंत्रण
  2. कृषि का तेजी से विकास 
  3. बाढ़ पर नियंत्रण 
  4. आधारित संरचना का विकास 
  5. उद्योग का विकास 
  6. गरीबी दूर करना
  7. शांति व्यवस्था की स्थापना
  8. स्वच्छ तथा ईमानदार प्रशासन
  9. केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण
















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