Class 10th History chapter 5 अर्थव्यवस्था और आजीविका
- नए-नए मशीनों का आविष्कार एवं तकनीकी विकास पर ही औद्योगिकरण निर्भर करता है।
- सन् 1750 ई० तक ब्रिटेन मुख्य रूप से कृषि प्रधान देश था। देश को 80% जनसंख्या में विवास करती थी।
- उत्पादित वस्तुओं की बढ़ती हुई मांगों ने गाँवों में भी रोजगार के अवसर प्रदान किए और कुटीर उद्योग का बहुत अधिक विकास हुआ, जिसमें पुरुषों के साथ महिलाओं एवं बच्चों को भी भागीदारी बढ़ी। ब्रिटेन के गाँवों में रंगाई एवं छपाई का काम भी होता था। इसके बाद उसका निर्यात उपनिवेशों के बाजार में कर दिया जाता था। इस तरह औद्योगीकरण, की शुरुआत हुई।
औद्योगीकरण के कारण
1. आवश्यकता आविष्कार की जननी
2. नये-नये मशीनों का आविष्कार
3.कोयले एवं लोहे की प्रचुरता
4.फैक्ट्री प्रणाली की शुरुआत
5. सस्ते श्रम की उपलब्धता
6. यातायाता की सुविधा
7. विशाल औपनिवेशक स्थिति
- सन् 1769 में बॉल्टन निवासे रिचर्ड आर्कराइट ने सूत कातने को स्पिनिंग फ्रेम (Spinning Frame) नामक एक मशीन बनाई जो जलशक्ति से चलती थी।
- 1770 में स्टैंडहील निवासी जेम्स हारग्रीब्ज ने सूत काटने की एक अलग मशीन 'स्पिनिंग जेनी (Spinning Jenny) बनाई। 1773 में लंकाशायर के जॉन के ने 'फ्लाइंग शट्ल' (Flying Shuttle) का आविष्कार किया।
- 1779 में सैम्यूल क्राम्पटन ने 'स्पिनिंग म्यूल' (Spinning Mule) बनाया, जिससे बारीक सूत काता जा सकता था। सन् 1785 में एडमंड कार्टराइट ने बाध्य से चलने वाला 'पावरलूम' (Power-Loom) नामक करघा तैयार किया।
- बेनर नामक व्यक्ति ने कपड़ा छापने का एक यंत्र बनाया।
- टॉमस बेल के 'बेलनाकार छपाई (Cylindrical Printing) के आविष्कार किया।
- 1820 ई० तक ब्रिटिश सूती वस्त्र उद्योग में काफी वृद्धि हुई
- सन् 1769 में जेम्स वॉट द्वारा बनाये गये वाष्प इंजन की खोज की।
- सन् 1815 में हम्फ्रीडेवी ने खानों में काम करने लिए एक 'सेफ्टी लैम्प' (Safety-Lamp) का आविष्कार किया।
- सन् 1815 ई० में हेनरी बेसेमर ने एक शक्तिशाली भट्टी विकसित करके लौह उद्योग को और भी बढ़ावा दिया।
- अंग्रेज व्यापारी एजेंट की मदद से भारत के कारीगरों को पेशगी रकम देखकर उनसे कम उत्पादन करवाते थे। ये एजेंट गुमाश्ता कहलाते थे।
- 1813 ई० में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित 'चार्टर एक्ट' (Charter Act) व्यापार पर या कम्पनी का एकाधिपत्य समाप्त कर दिया।
- सन् 1850 ई० के बाद ब्रिटिश सरकार ने अपने उद्योगों को विकसित करने के लिए अनेक ऐसे कदम उठाए जिनकी वजह से इस अवधि में एक के बाद एक देशी उद्योग लगातार खत्म होने लगे।
- सन् 1850 के बाद मैनचेस्टर से भारी मात्रा में वस्त्र आयात शुरू हो गया था। भारत में अब कुटीर-उद्योग के शिल्पकारों एवं कास्तकारों को कच्चा माल के लाले पड़ गये ।
- 1850 के बाद जब भारत में कारखानों की स्थापना होनी शुरू हुई तब यही बेरोजगार लोग गाँवों से शहरों की तरफ पलायन कर गए, जहाँ उन्हें मजदूर के रूप में रख लिया जाता था ।
- एक तरफ जहाँ मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धि कर औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी, वहीं भारत में कुटीर उद्योग बन्द होने की कगार पर पहुँच गया था । भारतीय इतिहासकारों ने इसे भारत के उद्योग के लिए निरूद्योगीकरण की संज्ञा दी है।
भारत में फैक्ट्रियों की स्थापना
- 1830-40 के दशक में बंगाल में द्वारकानाथ टैगोर ने 6 संयुक्त उद्यम कंपनी लगा ली थी । सर्वप्रथम सूती कपड़े की मिल की नींव 1851ई० में बंबई में डाली गयी।
- पारसी कावसजी-नानाजी भाई दाभार ने सन् 1854 में पहला कारखाना निर्मित किया और तभी से इस उद्योग का इतिहास भारत में शुरू हुआ।
- सन् 1854 से 1880 तक तीस कारखानों का निर्माण हुआ, जिसमें तेरह पारसियों द्वारा बनाए गए थे । सन् 1869 में स्वेज नहर के खुल जाने से बम्बई के बन्दरगाह पर इंग्लैंड से आने बाला सूती कपड़ों का आयात बढ़ने लगा। इसके बावजूद भी सन् 1880 से 1895 तक सूती कपड़ों के मिलों की संख्या उनचालिस से अधिक हो गई।
- सन् 1895 से 1914 तक के बीच सूती मिलों की संख्या 144 तक पहुँच गयी थी और भारतीय सूती धागे का निर्यात चीन को होने लगा था।
- सन् 1917 में कलकत्ता में देश की पहली जूट मिल एक मारवाड़ी व्यवसायी हुकुम चंद ने स्थापित किया।
- सन् 1918 में पहले पहल एक लिमिटेड कम्पनी के रूप में बिड़ला ब्रदर्स को स्थापना हुई।
- सन् 1919 में बिला जूट कम्पनी और 1920 में ग्वालियर में जियाजी राव सूती कारखाना खुला।
- घनश्याम दास बिड़ला ने अंग्रेजी कम्पनियों से अनेक चालू कारखाने खरीदकर अपने व्यापार को बढ़ाया, जैसे-एंडविल से केशवराव कॉटन मिल और मार्टिन से चीनी के कारखाने ।
- सन् 1907 ई० में जमशेद जी टाटा ने बिहार के साकची नामक स्थान पर टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (Tisco) की स्थापना की।
- 1910 ई० में उन्होंने टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रीक पावर स्टेशन की स्थापना की । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् लौह उद्योग ने काफी प्रगति की ।
- 1955 में भिलाई, राउर केला और दुर्गापुर में इस्पात कारखाना खोलने को सहमति रूस, पश्चिम जर्मनी और ब्रिटेन के समझौतों के आधार पर ली गयी। अभी भारत में 7 स्टील प्लांट है।
- इंडियन-आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, हीरापुर
- टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर
- विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, भद्रावती (कर्नाटक)
- राउरकेला स्टील प्लाट, राउरकेला
- भिलाई स्टील प्लांट, भिलाई
- दुर्गापुर स्टील प्लांट, दुर्गापुर
- बोकारो स्टील प्लांट, बोकारो
- भारत में कोयला उद्योग का प्रारम्भ सन् 1814 में हुआ,। इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए मशीनों का प्रयोग शुरू हुआ। नवीन उद्योग की स्थापना ने कायेले की मांग बढ़ा दी। 1868 ई० में जहाँ उत्पादन 5 लाख टन था, वहाँ 1950 में बढ़कर 3.23 करोड़ टन हो गया। तत्कालीन बिहार इस उद्योग का मुख्य केन्द्र था।
- सन् 1850-60 के पश्चात भारत में बगीचा उद्योग अर्थात् नील, चाय, कॉफी, रबड़ और पटसन मिलें आरम्भ हो गयीं।
- सन् 1921 में सरकार ने एक राजस्व आयोग नियुक्त किया और उस वर्ष उसके प्रधान श्री इब्राहिम रहिमतुल्ला बनाये गए।
- 1924 ई० में टीन उद्योग, कागज उद्योग, केमिकल उद्योग, चीनी उद्योग आदि की स्थापना हुई। 1930 के दशक में सीमेंट और शीशा उद्योग की भी स्थापना हुई।
- सन् 1929-33 के विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का भारतीय उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ा।
- भारत प्राथमिक सामग्री के लिए आत्म निर्भर था, जिसका मूल्य घटकर आधा हो गया था। निर्यात किए जाने वाले सामानों का भी मूल्य घट गया। इस तरह उद्योग पर निर्भर जनता की दिनों दिन क्षति होने लगी।
- भारत में 1895 में पंजाब नेशनल बैंक, 1906 में बैंक ऑफ इंडिया, 1907 में इंडियन बैंक, 1911 संन्ट्रल बैंक, 1913 में द बैंक ऑफ मैसूर तथा ज्वाइंट स्टॉक बैंकों को स्थापना हुई। ये भारतीय उद्योगों के विकास में सहायक थे।
औद्योगिकरण का परिणाम
- नगरों का विकास ।
- कुटीर उद्योग का पतन ।
- साम्राज्यवाद का विकास ।
- समाज में वर्ग विभाजन एवं बुर्जुआ वर्ग का उदय ।
- फैक्ट्री मजदूर वर्ग का जन्म ।
- स्लम पद्धति की शुरुआत ।
- औद्योगीकरण के फलस्वरूप ब्रिटिश सहयोग से भारत के उद्योग में पूँजी लगाने वाले उद्योगपति पूँजीपति बन गये । अतः समाज में तीन वर्गों का उदय हुआ पूंजीपति वर्ग, बुर्जुआ वर्ग(मध्यम वर्ग) एवं मजदूर वर्ग । आगे चलकर यही बुर्जुआ वर्ग भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में अंग्रेजों की औपनिवेशिक एवं शोषण की नीति के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाया ।
मजदूरों की आजीविका
- औद्योगीकरण ने नई फैक्ट्री प्रणाली को जन्म दिया, जिससे गृह उद्योगों के मालिक अब मजदूर बन गए, जिनकी आजीविका बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा प्राप्त वेतन पर निर्भर करता था। औरतों एवं बच्चों से भी 16 से 18 घंटे काम लिए जाते थे । उस समय इंग्लैंड में कानून मिल मालिकों के पक्ष में थे। मजदूरों की लाचारी यह थी कि वे अपने गृह उद्योग की तरफ लौट नहीं सकते थे, क्योंकि कल-पूजों एवं मशीनों के आगे साधारण गृह उद्योग का फिर से विकसित होना असम्भव था।
- 1832 में सुधार अधिनियम पारित हुआ।
- अक्टूबर 1920 में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई और लाला लाजपत राय को प्रधान बनाया गया।
- 1926 में मजदूर संघ अधिनियम पारित हुआ।
- 1962 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय श्रम आयोग स्थापित किया।
- 6 अप्रैल 1948 की औद्योगिक नीति के द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन मिला।
- 1952- 53 में पांच बोर्ड बनाए गए। जो हथकरघा,सिल्क, खादी, नारियल की जाता तथा ग्रामीण उद्योग हेतु थे।
- 1950 के बाद संपूर्ण विश्व में अग्रणी औद्योगिक शक्ति समझा जाने वाला ब्रिटेन अपने प्रथम स्थान से वंचित हो गया और अमेरिका एवं जर्मनी जैसे देश औद्योगिक विकास की दृष्टि से ब्रिटेन से काफी आगे निकल गए ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. स्पिनिंग जेनी का आविष्कार कब हुआ ?
उत्तर:- 1770
2 सेफ्टी लैम्प का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर:- हम्फ्री डेवी
3. बम्बई में सर्वप्रथम सूती कपड़ों के मिलों की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:- 1851
4. 1917 ई० में भारत में पहली जूट मिल किस शहर में स्थापित हुआ ?
उत्तर:- कलकत्ता
5. भारत में कोयला उद्योग का प्रारम्भ कब हुआ ?
उत्तर:- 1914
6. जमशेद जी टाटा ने टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी की स्थापना कब की ?
उत्तर:- 1907
7. भारत में टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रीक पावर स्टेशन की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:- 1910
8. इंगलैंड में सभी स्त्री एवं पुरुषों को व यस्क मताधिकार कब प्राप्त हुआ ?
उत्तर:- 1881
9. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:- 1920
10 भारत के लिए पहला फैक्ट्री एक्ट कब पारित हुआ ?
उत्तर:- 1881
रिक्त स्थानों की पूर्ति की।
1. सन् 1838 ई० में लंदन में चार्टिस्ट आन्दोलन की शुरुआत हुई।
2. सन् 1926 में मजदूर संघ अधिनियम पारित हुआ ।
3. 'न्यूनतम मजदूरी कानून सन् 1948 ई० में हुई ।
4. अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ की स्थापना 1920 ई० में हुई।
5. प्रथम फैक्ट्री एक्ट में महिलाओं एवं बच्चों की आयु एवं काम का घंटा को निश्चित किया गया ।
सुमेलित करे—
अति उत्तरीय प्रश्न (20 शब्दों में उत्तर दें)
1.फैक्ट्री प्रणाली के विकास के किन्हों दो करणों को बतायें ।
उत्तर:- फैक्ट्री प्रणाली के विकास के किन्हों दो करण निम्न हैं -
(i) नये-नये मशीनों का आविष्कार
(ii) कोयले एवं लोहे की प्रचुरता
2.बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर:- औद्योगीकरण के फलस्वरूप बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति हुई।
3.अठारवीं शताब्दी में भारत के मुख्य उद्योग कौन-कौन से थे ?
उत्तर:- अठारहवीं शताब्दी में भारत के मुख्य उद्योग कपड़ा उद्योग (सूती और रेशमी वस्त्र), धातु उद्योग (लोहा, तांबा), लकड़ी और काष्ठ उद्योग (फर्नीचर), मसाला उत्पादन और हस्तशिल्प थे।
4.निरूद्योगीकरण से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धि कर औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी, वहीं भारत में कुटीर उद्योग बन्द होने की कगार पर पहुँच गया था। इसी घटना को निरुद्योगीकरण कहते हैं।
5. औद्योगिक आयोग की नियुक्ति कब हुई ? इसके क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर:- औद्योगिक आयोग की नियुक्ति 1916 में हुई थी। इसके मुख्य उद्देश्य भारतीय उद्योगों और व्यापार की जाँच-पड़ताल करना तथा उन क्षेत्रों का पता लगाना था जहाँ सरकार सहायता दे सकती थी, ताकि उनके विकास में मदद मिल सके।
लघु उत्तरीय प्रश्न (60 शब्दों में उत्तर दें)
1. औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- वह प्रक्रिया है जिसमें एक अर्थव्यवस्था कृषि-आधारित से औद्योगिक-आधारित हो जाती है, जहाँ बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए मशीनों और कारखानों का उपयोग किया जाता है इसी प्रक्रिया को औद्योगिकरण कहते हैं।
2. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?
उत्तर:- मजदूरों की आजीविका बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा प्राप्त वेतन पर निर्भर करता था। औरतों एवं बच्चों से भी 16 से 18 घंटे काम लिए जाते थे । उस समय इंग्लैंड में कानून मिल मालिकों के पक्ष में थे। मजदूरों की लाचारी यह थी कि वे अपने गृह उद्योग की तरफ लौट नहीं सकते थे।
3.स्लम पद्धति की शुरुआत कैसे हुई ?
उत्तर:- औद्योगीकरण के फलस्वरूप जब मिल मालिकों द्वारा मजदूरों का शोषण होने लगा तो उनकी स्थिति दयनीय होती गयी जिससे वे सुविधाविहीन घरों में रहने को बाध्य हो गये, इस कारण ‘स्लम पद्धति की शुरुआत हुई।
4. न्यूनतम मजदूरी कानून कब पारित हुआ और इसके क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:-
5. कोयला एवं लौह उद्योग ने औद्योगीकरण को गति प्रदान की, कैसे ?
उत्तर:- कोयले ने कारखानों के इंजनों को चलाने और भाप की शक्ति उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा प्रदान की, जबकि लौह ने मशीनरी, रेलवे, पुल और अन्य औजार बनाने के लिए आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध कराया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150 शब्दों में उत्तर दें)
1. औद्योगीकरण के कारणों का उल्लेख करें ।
उत्तर:- औद्योगीकरण के कारण निम्न है -
1. आवश्यकता आविष्कार की जननी
2. नये-नये मशीनों का आविष्कार
3.कोयले एवं लोहे की प्रचुरता
4.फैक्ट्री प्रणाली की शुरुआत
5. सस्ते श्रम की उपलब्धता
6. यातायाता की सुविधा
7. विशाल औपनिवेशक स्थिति
2. औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर:- औद्योगिकरण का परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तन निम्न है -
1. नगरों का विकास ।
2. कुटीर उद्योग का पतन ।
3. साम्राज्यवाद का विकास ।
4. समाज में वर्ग विभाजन एवं बुर्जुआ वर्ग का उदय ।
5. फैक्ट्री मजदूर वर्ग का जन्म ।
6. स्लम पद्धति की शुरुआत ।
3. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ? औद्योगीकरण ने उपनिवेशवाद को जन्म दिया कैसे ?
उत्तर:-
4. कुटीर उद्योग के महत्व एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालें ।
उत्तर:-
5. औद्योगीकरण ने सिर्फ आर्थिक ढाँचे को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि राजनैतिक परिवर्त्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया, कैसे ?
उत्तर:- औद्योगीकरण ने आर्थिक ढाँचे को तो परिवर्तित किया ही बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया, क्योंकि औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कुलीनता का गौरव समाप्तः हो गया। श्रमजीवियों को जमींदारों के शोषण से मुक्ति मिल गई। नए उद्योग-केन्द्रों में उनकी स्थिति पहले से अच्छी थी और उनकी आय भी बढ़ गई थी। उनके जीवनस्तर में भी परिवर्तन हो गया था। शहरों में ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं था। इस तरह, व्यक्ति का महत्व बढ़ गया और लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी बढ़ गई।
मिल-मालिक मजदूरों के शोषण के द्वारा अपनी पूँजी बढ़ा रहे थे। अतः मजदूर अपनी संगठन तथा ट्रेड यूनियन बनाकर और हड़ताल करके वे मिल-मालिकों को अपनी मांग पूरी करने के लिए विवश करने लगे। इससे लोगों में नेतृत्व क्षमता का विकास होने लगा। जिससे राजनीतिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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