Class 10th Economics chapter –5 रोजगार एवं सेवाएंl
ऐसे लोग जो काम करने के लायक होते हैं और जिन्हें उचित पारिश्रमिक पर काम नहीं मिलता, उन्हें बेरोजगार कहा जाता है।
भारत में कृषि लोगों के रोजगार उपलब्ध करने का सर्वाधिक बड़ा क्षेत्र है, इसके साथ-ही-साथ उद्योग व्यवसाय, स्वास्थ्य, यातायात आदि ऐसे क्षेत्र जिससे लोगों को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ मिलती हैं।
जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीवकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है एकत्रित दल को जब पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता है और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाती है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है।
आर्थिक विकास का क्षेत्र
आर्थिक विकास के मुख्य रूप से तीन क्षेत्र हैं —
(क) कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector)
(ख) उद्योग क्षेत्र (Industrial Sector)
(ग) सेवा क्षेत्र (Service Sector)
(क) कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector)- भारत एक कृषि प्रधान देश है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर क्षीण हो गया है। फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में 'छिपी हुई बेराजगारी' एवं अन्य बेरोजगारी पाए जाने लगे हैं।
(ख) उद्योग क्षेत्र (Industrial Sector)- रोजगार का दूसरा क्षेत्र 'उद्योग क्षेत्र' है। इस क्षेत्र के माध्यम से भी रोजगार की प्राप्ति की जा रही है। देश की औद्योगिक विकास की गति में तेजी आने के द्वारा ही औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार की वृद्धि होती है।
(ग) सेवा क्षेत्र (Service Sector)- आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिलती है। सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है।
सेवा क्षेत्र को सामान्यतः दो भागों में विभक्त किया जाता है-
(क) सरकारी सेवा
(ख) गैर सरकारी सेवा
(क) सरकारी सेवा- जब देश व राज्य की सरकार लोगों को काम के बदले मासिक वेतन देती है और इनसे विभिन्न क्षेत्रों में काम लेती है तो इसे सरकारी सेवा कहा जाता है।
जैसे - सैन्य सेवा, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्रण सेवा, वित्त सवा, बैंकिंग सेवा इत्यादि
(ख) गैर सरकारी सेवा- जब लोग स्वयं अपने प्रयास से ऐसी सेवाओं के सृजन से लाभान्वित होते हैं तो उसे गैर सरकारी सेवा को जाता है।
जैसे- बैंकिंग सेवा, दूरसंचार सेवा, यातायात सेवा, स्वास्थ्य सेवा, स्वरोजगार सेवाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ इत्यादि।
सेवा एवं रोजगार एक दूसरे के पूरक है। सेवा क्षेत्र का हम जितना ही विस्तार करेंगे रोजगार का अवसर उतना ही बढ़ेगा।
बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण लोगों की आवश्यकताएँ प्रतिदिन चढ़ती ही जा रही है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के उद्योगों का विस्तार हो रहा है। नये-नये कल-कारखाने खोले जा रहे हैं। इन कल-कारखानों को चलाने के लिए, आवश्यक आधारभूत संरचनाएँ का विकास किया जा रहा है। इन संरचनाओं के विकास के लिए हमें प्रशिक्षित, अर्द्धप्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षितों की आवश्यकता होती है। यही प्रशिक्षित, अर्द्धप्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित लोग मानव पूँजी के धरोहर होते हैं।
सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं और उसके प्रारंभ होने का वर्ष–
- काम के बदले अनाज (14 नवंबर 2004)
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम-(1980)
- ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण का कार्यक्रम (1979)
- ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम (1983)
- समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (20 अक्टूबर 1980)
- जवाहर रोजगार योजना- (1989)
- स्वयं सहायता समूह
- नरेगा इत्यादि
बाह्य स्त्रोती (Out Sourcing)
जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ या अन्य कंपनियाँ संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कंपनियों की बजाय किसी बाहरी या विदेशी स्त्रोत या संस्था या समूह से प्राप्त करती है तो उसे बाह्य स्रोती (Out Sourcing) कहा जाता है।
बीमारू राज्य
बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान राज्य को बीमारू के नाम से जाना जाता है।
बुनियादी सुविधाएँ या, आधारभूत ढांचा (Basic Infrastructure)
आर्थिक आधारभूत संरचनाएँ प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं लोगों की खुशहाली में वृद्धि करती है। आर्थिक संरचना के अन्तर्गत निम्नलखित को सम्मिलित किया जाता है-
वित्त (Finance)- बैंकिंग क्षेत्र, बीमा क्षेत्र, अन्य सरकारी वित्तीय क्षेत्र।
ऊर्जा (Energy)- कोयला, विद्युत, तेल, पेट्रोलियम, गैस, गैर पारंपरिक ऊर्जा एवं अन्य।
यातायात (Transport)- रेलवे, सड़कें, वायुयान, जलयान ।
संचार (Communication) डाक, तार, टेलीफोन, टेलीसंचार (Telecommunication), मोडिया एवं अन्य ।
मानव पूँजी निर्माण के लिए इनके प्रमुख घटकों पर विशेष ध्यान देना होगा। इनके प्रमुख घटक भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य हैं। इन घटकों के द्वारा मानव पूँजी को मजबूत बनाया जा सकता है। इसलिए सेवा क्षेत्र के विकास के लिए सर्वप्रथम इसे मजबूत बनाना होगा।
सेवा क्षेत्र के विकास के लिए इस मानव पूँजी पर निवेश करने की आवश्यकता होती है । वस्तुतः शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्य स्थल, प्रशिक्षण, प्रवसन और सूचना में पूँजी निवेश करने के पश्चात् मानव पूँजी एक सशक्त साधन बन जाता है जिससे आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों का विकास संभव है।
आधुनिक मंदी का सेवा क्षेत्र पर प्रभाव - विकसित राष्ट्रों पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जबकि भारत पर कम ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Question)
सही विकल्प चुनें।
1. आर्थिक विकास का तीसरा क्षेत्र क्या है ?
उत्तर - सेवा क्षेत्र
2.मानव पूँजी के प्रमुख घटक कितने हैं ?
उत्तर - 5
3. कौन बीमारु (BIMARU) राज्य नहीं है ?
उत्तर - कर्नाटक
4. कौन-सी सेवा गैर सरकारी है।
उत्तर - मॉल सेवा
5. ऊर्जा के मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर - इनमें से सभी
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short-Answer Questions)
1. Out Sourcing किसे कहते हैं ?
उत्तर - जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ या अन्य कंपनियाँ संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कंपनियों की बजाय किसी बाहरी या विदेशी स्त्रोत या संस्था या समूह से प्राप्त करती है तो उसे बाह्य स्रोती (Out Sourcing) कहा जाता है।
2. सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र को बतलाएँ ।
3. सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर - जब देश व राज्य की सरकार लोगों को काम के बदले मासिक वेतन देती है और इनसे विभिन्न क्षेत्रों में काम लेती है तो इसे सरकारी सेवा कहा जाता है।
जैसे - सैन्य सेवा, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्रण सेवा, वित्त सवा, बैंकिंग सेवा इत्यादि
4. गैर सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर - जब लोग स्वयं अपने प्रयास से ऐसी सेवाओं के सृजन से लाभान्वित होते हैं तो उसे गैर सरकारी सेवा को जाता है।
जैसे- बैंकिंग सेवा, दूरसंचार सेवा, यातायात सेवा, स्वास्थ्य सेवा, स्वरोजगार सेवाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ इत्यादि।
5. आधारभूत संरचना किसे कहते है ?
6. 'रोजगार' और 'सेवा' में क्या संबंध है ?
7. आर्थिक संरचनाएँ का क्या महत्त्व है ?
8. मंदी का असर भारत में क्या पड़ा ?
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